सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं के बैच पर हाइब्रिड सुनवाई के लिए सहमति दी
LiveLaw News Network
9 Oct 2021 11:25 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा किए गए अनुरोध पर हाइब्रिड मोड के माध्यम से धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं के बैच पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में बड़ी संख्या में शामिल दलीलों पर विचार करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के अनुरोध पर मामले की हाइब्रिड मोड में सुनवाई की अनुमति दी है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) की पृष्ठभूमि में सप्ताह में दो दिन सूचीबद्ध मामलों की अनिवार्य फिज़िकल सुनवाई का निर्देश देते हुए एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की हाइब्रिड सुनवाई की मांग की थी।
फिज़िकल सुनवाई के माध्यम से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों में एसओपी के अनुसार एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर), एक बहस करने वाले वकील और प्रतिपक्ष के एक जूनियर वकील को कोर्ट-रूम में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और प्रतिपक्ष की ओर से केवल एक रजिस्टर्ड क्लर्क को कोर्ट रूम तक पेपर बुक, जर्नल ले जाने की अनुमति होगी।
एसओपी ने यह भी कहा है कि यदि एक बेंच का विचार है कि गैर-विविध दिनों पर सूचीबद्ध किसी विशेष मामले में वकीलों की संख्या कोर्ट-रूम की कार्य क्षमता से अधिक है, तो COVID -19 मानदंडों के अनुसार, रजिस्ट्री वीडियो/टेली-कॉन्फ्रेंसिंग/हाइब्रिड मोड के माध्यम से ऐसे मामलों की सुनवाई की सुविधा प्रदान करेगा।
200 अन्य लोगों के बीच याचिकाओं के बैच के आसपास का बड़ा मुद्दा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की व्याख्या से संबंधित है जो 2014 से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।
19 जुलाई, 2021 को शीर्ष अदालत ने वकीलों के साथ बातचीत के बाद नोट किया था कि,
"यह सहमति है कि केंद्रीय एजेंसी अधिनियम के क्रमानुसार मामलों की सूची तैयार करेगी और समूह-वार तय किए जाने वाले कानून के प्रस्ताव या प्रश्न भी तैयार करेगी।"
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने पीएमएलए (PMLA) के संबंध में विचार करने के लिए कानून के निम्नलिखित प्रश्न तैयार किए:
1. क्या पीएमएलए के तहत अपराध संज्ञेय या गैर-संज्ञेय अपराध है, खासकर 2019 में डाले गए स्पष्टीकरण को देखते हुए?
2. क्या धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच शुरू करने और जारी रखने के दौरान आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 क अध्याय 12 के सभी प्रावधानों के तहत विचार की गई प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है?
3. क्या पीएमएलए की धारा 45 में यथा संशोधित जमानत देने की दोहरी शर्तें असंवैधानिक हैं? क्या संशोधन 2018 में फैसले के आधार को हटा देता है और जमानत देने के लिए दो शर्तों को पुनर्जीवित करता है?
4. यदि यह माना जाता है कि दो जुड़ी हुई शर्त (twin conditions) को पुनर्जीवित किया गया है तो क्या 2018 का निर्णय यह मानते हुए कि जुड़ी हुई शर्तें अग्रिम जमानत पर लागू नहीं हो सकतीं, कानून का सही प्रस्ताव है?
5. क्या पीएमएलए के तहत साबित करने के भार (burden of proof) से संबंधित प्रावधान आरोपी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं?
6. पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध की रूपरेखा क्या है? क्या पीएमएलए की धारा 3 (2019 में संशोधन द्वारा जोड़ी गई) के स्पष्टीकरण से धारा 3 के तहत अपराध के अर्थ का विस्तार होता है और यदि ऐसा है तो क्या ऐसा करने की अनुमति है?
7. क्या पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी की शक्ति के प्रयोग के लिए विधेय अपराध में आरोप पत्र/शिकायत/एफआईआर दर्ज करना एक पूर्वापेक्षा है? क्या पीएमएलए की धारा 2(यू) सहपठित धारा 3 के संदर्भ में मनी लॉन्ड्रिंग एक अकेला अपराध नहीं हो सकता है?
8. क्या न्यायिक कार्यवाही में जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा दर्ज किए गए बयान पर भरोसा करना संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का उल्लंघन है और साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के आलोक में अस्वीकार्य है?
9. क्या PMLA के तहत संपत्ति की कुर्की से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करते हैं?
10. क्या PMLA की अनुसूची (Schedule) के तहत अपराध को जोड़ने से पहले हुए कृत्यों पर पीएमएलए लागू किया जा सकता है?
11. क्या कोई रिट कोर्ट बिना किसी तथ्यात्मक आधार के केवल इसलिए कि कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, बिना किसी तथ्यात्मक आधार के 'कोई कठोर कदम नहीं' आदेश दे सकता है?
12. क्या तलाशी और जब्ती से संबंधित संशोधित पीएमएलए की धारा 17 और 18 असंवैधानिक और शून्य हैं?
13. क्या धारा 19 PMLA के तहत गिरफ्तारी की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है?
14. क्या विधेय अपराध (predicate offence) होने के बाद भी मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध जारी रह सकता है? क्या धन शोधन का अपराध किया जा सकता है, भले ही विधेय या अनुसूचित अपराध (scheduled offence) उस तिथि को अनुसूचित अपराध नहीं रहा हो, जब अनुसूचित अपराध किया गया?