12 वर्षों से वेजिटेटिव स्टेट में पड़े 32 वर्षीय व्यक्ति के लिए पैसिव यूथेनेशिया पर निर्णय हेतु सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS से सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया
Praveen Mishra
12 Dec 2025 5:38 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर को AIIMS निदेशक को निर्देश दिया कि वे एक सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड का गठन करें, जो यह मूल्यांकन करेगा कि पिछले 12 वर्षों से वेजिटेटिव स्टेट (यानी ऐसी अवस्था जिसमें व्यक्ति जीवित तो रहता है पर दिमाग काम नहीं करता और वह कुछ समझ या कर नहीं पाता) में पड़े 32 वर्षीय युवक को पैसिव यूथेनेशिया दी जा सकती है या नहीं। अदालत इस मामले पर 18 दिसंबर को आगे सुनवाई करेगी।
यह आदेश उस समय आया जब पिछले सप्ताह जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ द्वारा गठित प्राइमरी मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मरीज के स्वस्थ होने की संभावना “लगभग नगण्य” है।
प्राइमरी मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट : स्थिति अत्यंत दयनीय
जिला अस्पताल, नोएडा द्वारा गठित प्राइमरी बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद जस्टिस पारदीवाला ने बताया कि मरीज हरीश की स्थिति “बेहद दयनीय” है।
रिपोर्ट के अनुसार—
वह ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब से सांस ले रहा है,
गैस्ट्रोस्टॉमी के जरिए भोजन दिया जा रहा है,
उसके शरीर पर गंभीर बेड सोर्स हो चुके हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसे हालात में अगला कदम सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड बनाना है, ताकि प्राइमरी बोर्ड की राय का स्वतंत्र मूल्यांकन किया जा सके।
कॉमन कॉज़ केस के दिशानिर्देशों के अनुसार अगला चरण
अदालत ने कॉमन कॉज़ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2018) के निर्णय और जनवरी 2023 के संशोधन का हवाला देते हुए कहा:
“डॉक्टरों की राय है कि स्वस्थ होने की संभावना नगण्य है… ऐसे में हमें प्रक्रिया के अगले चरण पर आगे बढ़ना चाहिए और सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड गठित करना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS निदेशक से कहा:
“सेकेंडरी बोर्ड गठित करें और 17 दिसंबर 2025 तक रिपोर्ट दायर करें।”
पिता की याचिका : हालात और खराब, इलाज का असर नहीं
यह आवेदन हरीश के पिता द्वारा दायर किया गया।
2024 में उन्होंने पहली बार सुप्रीम कोर्ट से पैसिव यूथेनेशिया की अनुमति मांगी थी,
उस समय अदालत ने अनुमति नहीं दी, पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उपचार की ज़िम्मेदारी लेने पर सहमति जताई थी।
बाद में पिता ने मिसलेनियस आवेदन दायर कर कहा कि—
बेटे की हालत अब और बिगड़ गई है,
और किसी उपचार का कोई प्रभाव नहीं हो रहा।

