सुप्रीम कोर्ट में EVM वोटों की फिर से गिनती करने पर पलटा हरियाणा सरपंच चुनाव का नतीजा

Shahadat

15 Aug 2025 5:12 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में EVM वोटों की फिर से गिनती करने पर पलटा हरियाणा सरपंच चुनाव का नतीजा

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक दुर्लभ घटना में हरियाणा में एक ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों को पलट दिया, जब उसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) अपने पास मंगवाईं और रजिस्ट्रार द्वारा वोटों की पुनर्गणना करवाई।

    पुनर्गणना के बाद 'पराजित' उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किए गए उम्मीदवार से 51 वोट अधिक मिले। अतः, चुनाव न्यायाधिकरण के अंतिम निर्णय के अधीन न्यायालय ने पानीपत के उपायुक्त-सह-निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वे दो दिनों के भीतर अधिसूचना जारी करें, जिसमें पराजित उम्मीदवार (याचिकाकर्ता) को ग्राम पंचायत का निर्वाचित सरपंच घोषित किया जाए।

    न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता तत्काल उक्त पद ग्रहण करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का हकदार होगा।

    जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने आदेश दिया,

    "इस न्यायालय के OSD (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर प्रथम दृष्टया संदेह करने का कोई कारण नहीं है, खासकर जब पूरी पुनर्गणना की विधिवत वीडियोग्राफी की गई हो और उसके परिणाम पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हों। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता 22.11.2022 को हुए चुनाव में हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव की ग्राम पंचायत का निर्वाचित सरपंच घोषित किए जाने का हकदार है।"

    सुनवाई के दौरान, जस्टिस कांत ने टिप्पणी की कि प्रतिवादी नंबर 1 (वह उम्मीदवार जिसे पहले निर्वाचित घोषित किया गया) को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

    जज ने कहा,

    "यह सारी गड़बड़ी केवल एक बूथ पर हुई... रिटर्निंग ऑफिसर/मतगणना अधिकारी द्वारा पूरी गड़बड़ी की गई, उन्होंने ही यह गलती की... इस तरह के मामलों में एकमात्र समाधान यह है कि आप पुनर्गणना करवाएं... कभी नहीं सोचा था कि हाईकोर्ट पुनर्गणना से इनकार करने के लिए 15 पृष्ठ लिख देगा!"

    संक्षेप में मामला

    यह मामला हरियाणा के पानीपत में 2022 में हुए सरपंच के चुनाव से संबंधित है। शुरुआत में प्रतिवादी नंबर 1-कुलदीप सिंह को निर्वाचित घोषित किया गया। हालांकि, उसी दिन एक मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी द्वारा परिणाम तैयार करने में हुई त्रुटि के कारण रिटर्निंग अधिकारी ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पुनर्गणना का आदेश दिया। परिणाम दोबारा तैयार होने के बाद याचिकाकर्ता-मोहित कुमार को निर्वाचित घोषित किया गया।

    व्यथित होकर कुलदीप सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि एक बार किसी उम्मीदवार के निर्वाचित घोषित हो जाने के बाद पुनर्गणना द्वारा परिणाम को स्वतः नहीं बदला जा सकता है। पीड़ित पक्ष के पास उपलब्ध उचित उपाय चुनाव याचिका दायर करना है। इस दृष्टिकोण से हाईकोर्ट ने मोहित कुमार का चुनाव रद्द कर दिया और अधिकारियों को कुलदीप सिंह को निर्वाचित सरपंच के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया।

    इसके बाद मोहित कुमार ने चुनाव याचिका दायर की, जिसमें कुलदीप सिंह ने समय सीमा के आधार पर प्रारंभिक आपत्ति जताई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसने कुलदीप सिंह की आपत्ति को खारिज कर दिया और चुनाव न्यायाधिकरण को चार महीने के भीतर मामले का फैसला सुनाने का निर्देश दिया।

    इस साल अप्रैल में चुनाव न्यायाधिकरण ने एक बूथ (बूथ नंबर 69) के मतों की पुनर्गणना की आवश्यकता बताई। उपायुक्त-सह-निर्वाचन अधिकारी को मतों की पुनर्गणना करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, कुलदीप सिंह की अपील पर हाईकोर्ट ने न्यायाधिकरण का आदेश रद्द कर दिया। इससे व्यथित मोहित कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित EVM को नामित रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया, जिन्हें न केवल बूथ नंबर 69 के लिए, बल्कि सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना करनी थी। पुनर्गणना की वीडियोग्राफी करने और पार्टियों के एजेंटों को उपस्थित रहने की अनुमति देने का आदेश दिया गया। इस पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को नामित किया गया और उन्होंने पांच बूथों के मतों की पुनर्गणना की। रजिस्ट्रार की रिपोर्ट में बताया गया कि संशोधित परिणाम में मोहित कुमार को कुलदीप सिंह से 51 वोट अधिक मिले।

    11 अगस्त को न्यायालय ने चुनाव परिणामों को पलट दिया और कहा कि सामान्यतः, वह याचिकाकर्ता को निर्वाचित उम्मीदवार घोषित करके कार्यवाही बंद कर देता। हालांकि, चूंकि प्रतिवादी नंबर 1 ने तर्क दिया कि न्यायाधिकरण के समक्ष कुछ अन्य मुद्दों पर निर्णय होना बाकी है, इसलिए पक्षकारों को अपने मुद्दों, यदि कोई हों, उनको न्यायाधिकरण के समक्ष उठाने की स्वतंत्रता है।

    साथ ही न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि पुनर्गणना के संबंध में न्यायाधिकरण सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट को अंतिम और निर्णायक मानेगा। हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की सरपंच घोषणा न्यायाधिकरण के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।

    Case Title: MOHIT KUMAR Versus KULDEEP SINGH AND ORS., SLP(C) No. 18410/2025

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