सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर में ईसाई मिशन के ज़मीन पर कब्ज़ा करने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

Shahadat

14 Nov 2025 10:29 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर में ईसाई मिशन के ज़मीन पर कब्ज़ा करने के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बिलासपुर में एक लीज़होल्ड संपत्ति पर ईसाई महिला मिशन बोर्ड (CWBM) के कब्ज़े पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देकर उसे अंतरिम राहत प्रदान की। मिशन ने छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा ज़मीन पर कब्ज़ा वापस लेने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ CWBM की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें उसे राहत देने से इनकार कर दिया गया।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया,

    "इस बीच, निर्माण और कब्ज़े के संबंध में यथास्थिति, जैसी आज है, बरकरार रखी जाए। इस आदेश की एक प्रति आज रजिस्ट्री द्वारा कलेक्टर बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को तत्काल भेजी जाए।"

    याचिकाकर्ताओं के अनुसार, विचाराधीन भूमि मूल रूप से 1925 में पट्टे पर दी गई, जिसका 1994 तक नियमित रूप से नवीनीकरण होता रहा। इसके बाद स्मार्ट सिटी विकास आदि के लिए भूमि हस्तांतरित करने के प्रयासों के कारण अधिकारियों द्वारा औपचारिक नवीनीकरण लंबित रहा। फिर भी याचिकाकर्ताओं ने 2022 तक निर्बाध रूप से कब्जा बनाए रखा, वैधानिक शुल्क का भुगतान किया और विभिन्न धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ गतिविधियाँ संचालित कीं। इसने भूमिस्वामी अधिकार प्राप्त कर लिए थे।

    1979 से यह यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन (UCNITA) के तत्वावधान में कार्य कर रहा है, जो तत्कालीन कंपनी अधिनियम, 1913 के तहत रजिस्टर्ड कंपनी है, जो संबंधित भूमि पर स्थित बिलासपुर स्थित मिशन अस्पताल सहित अपनी संपत्तियों का प्रबंधन और प्रशासन करती रही है।

    याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने उक्त संपत्ति के पट्टे के नवीनीकरण के लिए बार-बार प्रयास किए, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसे लंबित रखा गया। यह मुद्दा तब उठा जब कलेक्टर, बिलासपुर ने 2024 में नवीनीकरण आवेदन को खारिज कर दिया, जिसके बाद राजस्व विभाग के सचिव और स्थानीय प्रशासन के समक्ष वैधानिक अपील दायर की गई।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि कार्यवाही लंबित रहने के दौरान, अधिकारियों ने दुर्भावना से काम करते हुए अस्पताल और चैपल भवन को ध्वस्त करने के लिए बलपूर्वक कदम उठाए, जिससे परिसर का लगभग 80% हिस्सा ध्वस्त हो गया। इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने आगे कोई बलपूर्वक कदम न उठाने का निर्देश दिया और लंबित अपील पर 15 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया। इसके बाद अपील खारिज कर दी गई।

    अपील की अस्वीकृति चुनौती देते हुए एक और रिट याचिका दायर की गई, जिसे 18 जुलाई को हाईकोर्ट के सिंगल जज ने खारिज कर दिया। इसे एक खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई, जिसने सिंगल जज का आदेश बरकरार रखा। यह पाया गया कि याचिकाकर्ताओं का संपत्ति पर कोई अधिकार, स्वामित्व या हित नहीं था और नवीनीकरण के किसी भी दावे को कायम नहीं रखा जा सकता।

    Case Details: CHRISTIANS WOMAN'S BOARD OF MISSION & ANR. v. STATE OF CHHATTISGARH & ORS.|SPECIAL LEAVE PETITION (CIVIL) Diary No(s). 64657/2025

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