सुप्रीम कोर्ट ने RG Kar मेडिकल कॉलेज मामले में स्वतः संज्ञान याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी
Praveen Mishra
17 Dec 2025 6:17 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई बलात्कार और हत्या की घटना से जुड़े उस स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया, जिसे उसने स्वयं शुरू किया था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन की निगरानी कलकत्ता हाईकोर्ट करेगा।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच के समक्ष रखा जाए, जिसके लिए मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है कि वे इसे उपयुक्त पीठ को सौंपें। कोर्ट ने रजिस्ट्री को सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज कलकत्ता हाईकोर्ट को प्रेषित करने का भी आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच से संबंधित जो स्थिति रिपोर्ट्स न्यायालय में दाखिल की गई थीं, उनकी प्रतियां पीड़िता के माता-पिता को उपलब्ध कराई जाएं।
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में हुई इस घटना के बाद देशभर में डॉक्टरों और चिकित्सा संगठनों ने कार्यस्थलों पर सुरक्षा और जवाबदेही की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और सुनवाई के दौरान जांच एवं उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कई अहम आदेश पारित किए थे।
20 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में गंभीर कमियों को रेखांकित किया था। इनमें रात की ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्षों का अभाव, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग ड्यूटी रूम न होना, 36 घंटे तक की लंबी ड्यूटी के दौरान बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की कमी, सुरक्षा कर्मियों की कमी, अपर्याप्त शौचालय सुविधाएं, अस्पताल से दूर रहने वाले डॉक्टरों के लिए परिवहन की खराब व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरों का न होना या खराब हालत में होना, अस्पताल परिसरों में मरीजों और तीमारदारों की अनियंत्रित आवाजाही, प्रवेश द्वारों पर हथियारों की जांच का अभाव तथा अस्पताल परिसर में पर्याप्त रोशनी न होना शामिल था।
इन समस्याओं से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कार्य स्थितियों और कल्याण से संबंधित सिफारिशें देने हेतु सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरिन, महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (नौसेना) की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया था। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा था कि विरोध कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ किसी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई न की जाए और जांच की प्रगति तथा आदेशों के अनुपालन पर नियमित स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
अब स्वतः संज्ञान मामले के स्थानांतरण के बाद, कलकत्ता हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के क्रियान्वयन की निगरानी करेगा। उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने ही इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी थी। इस वर्ष जनवरी में कोलकाता की सियालदह स्थित एक सत्र अदालत ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपी को 18 जनवरी को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (बलात्कार पीड़िता की मृत्यु का कारण बनने वाली चोट पहुंचाना) और 103(1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था।

