सुप्रीम कोर्ट क्षेत्रीय बेंच स्थापित करने के पक्ष में नहीं : केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया

LiveLaw News Network

17 Dec 2021 9:03 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के समक्ष लंबित मामलों को कम करने के लिए चार क्षेत्रीय अपीलीय अदालतें स्थापित करने के सरकार के प्रस्ताव के बारे में सवालों के जवाब में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने लिखित उत्तर में राज्य सभा को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के बाहर सुप्रीम कोर्ट की बेंच स्थापित करने के लिए सहमत नहीं है।

    उत्तर में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 130 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली या किसी अन्य स्थान पर बैठेगा, जैसा कि सीजेआई राष्ट्रपति के अनुमोदन से नियुक्त कर सकता है। आगे कहा गया कि विधि आयोग ने अपनी 229वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि दिल्ली में चार कैसेशन पीठों के साथ एक संवैधानिक पीठ स्थापित की जाए।

    जवाब में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच स्थापित करने की सिफारिश को पूर्व में सीजेआई के पास विचार के लिए भेजा गया है, लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी है।

    कानून मंत्री ने जवाब में कहा:

    "भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 12 अगस्त, 2007 को अपने पत्र में सूचित किया कि मामले पर विचार करने के बाद फुल कोर्ट ने सात अगस्त, 2007 को हुई अपनी बैठक में इस विषय पर अपने पहले के प्रस्ताव से विचलित होने का कोई औचित्य नहीं पाया और सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि समिति द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जा सकता।"

    जवाब में आगे कहा गया:

    "इस संबंध में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने सूचित किया कि मामले पर विचार करने के बाद 18 फरवरी, 2010 को हुई अपनी बैठक में फुल कोर्ट ने दिल्ली के बाहर सुप्रीम कोर्ट की पीठों की स्थापना के लिए कोई औचित्य नहीं पाया।"

    मंत्री ने अपने जवाब में सदन को यह भी बताया कि राष्ट्रीय अपील न्यायालय की स्थापना पर 2016 की एक रिट याचिका संख्या 36 भारत के सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

    हाईकोर्ट की खंडपीठों के संदर्भ में जवाब में कहा गया कि एक स्थापित प्रक्रिया है- राज्य सरकार और संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से राज्य के राज्यपाल की सहमति के साथ एक 'पूर्ण प्रस्ताव' पेश दिया जाए। आगे कहा गया कि विभिन्न संगठनों से हाईकोर्ट की पीठों की स्थापना के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं, हालांकि "वर्तमान में कोई भी पूर्ण प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।"

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