'सुप्रीम कोर्ट सिर्फ इसलिए नहीं आया जा सकता कि चंडीगढ़ दिल्ली के नजदीक है': स्थगन आदेश को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
LiveLaw News Network
27 Nov 2021 12:57 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित एक स्थगन आदेश को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका को 20,000 रुपये के जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज करते हुए कहा कि शीर्ष न्यायालय में टहलने के लिए केवल इसलिए आया जा सकता, क्योंकि चंडीगढ़ दिल्ली के नजदीक है।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा,
"तथ्य यह है कि न्यायाधीश ने स्थगन के अनुरोध को स्वीकार करके केवल याचिकाकर्ता के वकील को बाध्य किया। फिर भी याचिकाकर्ता द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत याचिका दायर करके आदेश को चुनौती दे रहा है। अगर यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं है तो फिर इस पर कोई क्या कह सकता है। इस न्यायालय केवल इसलिए नहीं आया जा सकता, क्योंकि चंडीगढ़ दिल्ली के नजदीक है।"
पीठ ने न्यायिक समय की बर्बादी के कारण याचिकाकर्ता पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट ग्रुप "सी" (गैर-लिपिकीय) कर्मचारी कल्याण संघ में जमा करने का निर्देश दिया।
आदेश में पीठ ने यह भी माना कि एसएलपी को किसी अन्य तथ्य पर या यहां तक कि इस तथ्य पर भी स्वीकार नहीं किया गया कि आदेश गलत तरीके से दर्ज किया गया था, बल्कि केवल इसलिए कि हाईकोर्ट ने प्रतिवादी को नोटिस जारी किए बिना मामले को यांत्रिक रूप से तीन महीने के लिए स्थगित करने में गलती की।
बिना किसी अंतरिम संरक्षण के लंबे समय तक स्थगन का तथ्य याचिकाकर्ता के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार भी खंडपीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया।
कोर्ट ने एसएलपी खारिज करते हुए कहा,
"हम नहीं जानते कि स्थगन का अनुरोध क्यों किया गया था। क्या वकील तैयार नहीं है या क्या याचिकाकर्ता से वकील को फिजिकल निर्देशों की कमी है!"
केस शीर्षक: रमेश चंदर दीवान बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो| अपील के लिए विशेष अनुमति याचिका (Crl।) नंबर 8730/2021
बेंच: जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश
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