NEET-UG एडमिशन : यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केवल आंशिक फीस का भुगतान करने वाली छात्रा के मूल दस्तावेज लौटाने पर सहमति व्यक्त की

Shahadat

9 Aug 2022 5:42 AM GMT

  • NEET-UG एडमिशन : यूनिवर्सिटी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केवल आंशिक फीस का भुगतान करने वाली छात्रा के मूल दस्तावेज लौटाने पर सहमति व्यक्त की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मुद्दे से संबंधित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी कि क्या नामांकन फॉर्म, अंडरटेकिंग और हलफनामा जमा किए बिना केवल फीस का आंशिक भुगतान करना मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाने और कॉलेज ज्वॉइन करने के समान होगा।

    याचिका उस उम्मीदवार द्वारा दायर की गई, जिसने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) द्वारा आयोजित नीट-यूजी काउंसलिंग में आवेदन किया था। उसे डीवाई पाटिल (डीम्ड) यूनिवर्सिटी, नवी मुंबई में एक डीम्ड/पेड कोटा सीट आवंटित की गई। रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता यूनिवर्सिटी में शामिल हो गया है। हालांकि, उसने केवल आंशिक फीस जमा की है और नामांकन फॉर्म, अनिवार्य अंडरटेकिंग और हलफनामे जमा करना बाकी है।

    जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट डॉ. चारू माथुर ने कहा कि यूनिवर्सिटी अदालत के बाहर समझौते के लिए सहमत हो गई है। यूनिवर्सिटी की ओर से पेश होने वाले वकील ने भी पीठ को आश्वासन दिया कि दस्तावेज उम्मीदवार (याचिकाकर्ता) को सौंप दिए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता की शिकायतों का समाधान होने के बाद रिट याचिका वापस ले लr जाए। तदनुसार, बेंच ने मामले की सुनवाई 18 अगस्त, 2022 तक के लिए स्थगित कर दी।

    याचिकाकर्ता ने यूनिवर्सिटी को अवगत कराया कि वह वित्तीय खर्च वहन नहीं कर पाएगी। उसने 25 लाख रुपये जमा किए है। याचिका के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने उसके मूल दस्तावेज या धनवापसी जारी करने से इनकार कर दिया। इस प्रकार, याचिकाकर्ता को उसके द्वारा जमा की गई राशि को जारी/वापसी करने और अपने मूल दस्तावेजों को जारी करने के निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होना पड़ा। यह तर्क दिया जाता है कि भले ही यह मान लिया जाए कि उसे यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया, केवल दो लाख रुपये की सुरक्षा जमा राशि की अधिकतम जब्ती हो सकती है।

    याचिका में कहा गया,

    "इस प्रकार, यह शैक्षणिक संस्थान द्वारा अन्यायपूर्ण संवर्धन का स्पष्ट मामला है।"

    याचिका में यह भी कहा गया कि यूनिवर्सिटी धमकी दे रही है कि अगर याचिकाकर्ता ने बकाया फीस जमा नहीं की तो उसे भविष्य में नीट-यूजी में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    एमसीसी की ओर से पेश हुए एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि याचिकाकर्ता को पैसा वापस कर दिया गया है।

    [केस टाइटल: सुहाना मलिक बनाम एमसीसी डब्ल्यूपी (सिविल) 419/2022]

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