सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी को प्राइवेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर करने की अनुमति देने वाले मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ईडी की याचिका पर 21 जून को सुनवाई करेगा

Shahadat

19 Jun 2023 7:42 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी को प्राइवेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर करने की अनुमति देने वाले मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ईडी की याचिका पर 21 जून को सुनवाई करेगा

    सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के गिरफ्तार बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी को प्राइवेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर करने की अनुमति देने वाले मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ई़डी) द्वारा दायर याचिका पर 21 जून को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है।

    बालाजी को ईडी ने 13 जून को कैश-फॉर-जॉब स्कैम के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर 2011-2016 के बीच AIADMK शासन के तहत परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुआ था। उसके बाद उसके परिवार ने उसकी गिरफ्तारी के तरीके को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की और इलाज के लिए उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल कावेरी में ट्रांसफर करने की अनुमति मांगी।

    सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाश खंडपीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मामले का उल्लेख किया।

    उन्होंने तर्क दिया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसके अलावा, बालाजी को प्राइटवेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर करना अनुचित है, क्योंकि सीबीआई बनाम अनुपम जे. कुलकर्णी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, जांच एजेंसी को गिरफ्तारी की तारीख से 15 दिनों के बाद कस्टडी नहीं मिलेगी।

    एसजी मेहता ने कहा,

    "माई लॉर्ड का निर्णय कहता है कि एक बार किसी व्यक्ति को हिरासत में भेज दिया जाता है, बंदी झूठ नहीं होता है। यह यह भी कहता है कि वापसी की तारीख के समय नजरबंदी की वैधता को देखना होगा ... वह सीनियर मंत्री हैं, काफी प्रभावशाली हैं ... मद्रास हाईकोर्ट ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार किया और उन्हें हिरासत में भेज दिया गया। अब आरोपी अस्पताल में है और कुलकर्णी के फैसले के अनुसार, हमारे 15 दिन शुरू हो गए हैं। याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, यह हमारा मामला है।"

    यह देखते हुए कि हाईकोर्ट ने अभी तक इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया है, खंडपीठ ने याचिका पर विचार करने के प्रति अपनी अनिच्छा व्यक्त की और कहा कि पहले हाईकोर्ट को मामले में आदेश पारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,

    "यदि हम इसे सरल वादकालीन आदेशों में अनुमति देते हैं तो कोई अंत नहीं होगा।"

    इस पर एसजी मेहता ने कहा,

    "दोनों पक्षों को सुनने के बाद और बाध्यकारी निर्णय दिखाए जाने के बाद हाईकोर्ट द्वारा न्यायिक आदेश पारित किया गया। हाईकोर्ट का आदेश रिमांड आदेश का आधार है, जो कहता है कि आप उनसे पूछताछ कर सकते हैं, लेकिन केवल डॉक्टर की सलाह पर और उनके स्वास्थ्य को परेशान किए बिना ही, जो पूछताछ को व्यर्थ कर देती है। मैं केवल अत्यावश्यकता पर बहस कर रहा हूं। एक बार कागजात उपलब्ध होने के बाद मैं अवैधता को पेटेंट कराने पर बहस करूंगा।

    खंडपीठ ने तब मामले को 21 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। वहीं मद्रास हाईकोर्ट 22 जून को मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार है।

    मामले की पृष्ठभूमि

    ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ बालाजी के परिवार द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई। इस मामले को मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 22 जून, 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    मद्रास हाईकोर्ट ने 15 जून को बालाजी को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके परिवार के अनुरोध पर इलाज के लिए उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल कावेरी में ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी।

    बालाजी को उनके आधिकारिक आवास, राज्य सचिवालय स्थित उनके आधिकारिक कक्ष और उनके भाई के आवास पर 18 घंटे की व्यापक तलाशी और पूछताछ के बाद 13 जून को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया था। तलाशी के बाद बुधवार तड़के ईडी ने बालाजी को गिरफ्तार कर लिया।

    ये तलाशी कैश-फॉर-जॉब स्कैम के सिलसिले में की गई थी, जो कथित तौर पर 2011-2016 के बीच AIADMK शासन के तहत परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान हुआ था।

    मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में घोटाले की नए सिरे से जांच का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया कि इसमें अनियमितताएं हैं। हाईकोर्ट ने उस समय मंत्री द्वारा डिस्चार्ज याचिका को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री है और यह मामला समाज को प्रभावित करता है।

    इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाने के हाईकोर्ट का एक और निर्देश भी रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अपराधों को शामिल करके जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति दी।

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