SCLSC के अध्यक्ष जस्टिस सूर्यकांत ने जेल में बंद कैदियों को विधिक सहायता के संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के साथ की बैठक
Amir Ahmad
6 May 2025 11:40 AM IST

सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) के अध्यक्ष माननीय जस्टिस सूर्यकांत ने देशभर के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों (SLSAs) तथा हाईकोर्ट विधिक सेवा समितियों (HCLSCs) के अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक की।
10 जनवरी, 2025 को SCLSC द्वारा देश की सभी जेलों में SLSAs और जेल प्रशासन के सहयोग से एक विशेष अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत 4216 ऐसे कैदियों की पहचान की गई जो विधिक सहायता के पात्र हैं।
1 मई, 2025 को जस्टिस सूर्यकांत ने देश के सभी हाईकोर्ट के साथ वर्चुअल बैठक की और सभी से आग्रह किया कि वे इन चिन्हित कैदियों से संपर्क कर उनके पेपर बुक्स और अन्य आवश्यक दस्तावेज भेजें यदि वे विधिक सहायता प्राप्त करना चाहते हैं।
SCLSC अध्यक्ष की निगरानी के बाद 3900 से अधिक कैदियों ने विधिक सहायता लेने की इच्छा जताई है।
बैठक में जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि अब तक 800 से अधिक पेपर बुक्स प्राप्त हो चुके हैं और लगभग 300 मामलों में विधिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने देशभर की SLSAs से शेष मामलों में भी शीघ्र कागजात भेजने का अनुरोध किया।
यह अभियान सुप्रीम कोर्ट में विधिक उपचार की पहुंच को सुगम बनाने के लिए चलाया जा रहा है। इसे बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। अब तक SCLSC को 834 से अधिक मामले प्राप्त हुए हैं, जिनमें जहां संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध हैं, वहां पैनल वकीलों की नियुक्ति कर दी गई।
बैठक के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने अभियान की गति तेज करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए:
HCLSCs को लंबित पेपर बुक्स को विशेष दूतों के माध्यम से सप्ताहांत व अवकाशों में भी भेजने के निर्देश दिए गए।
सभी जिलों में HCLSCs को एक नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए गए, जो SCLSC के साथ सीधा संवाद कर सकें, फाइलों की त्रुटियां दूर करें और आवश्यक स्पष्टता प्राप्त करें।
HCLSCs को यह भी कहा गया कि वे उन कैदियों से दोबारा संपर्क करें, जिन्होंने पहले विधिक सहायता लेने से इनकार किया था। उन्हें SCLSC द्वारा दी जा रही गुणवत्तापूर्ण और सक्षम प्रतिनिधित्व की जानकारी दें।
यह अभूतपूर्व पहल जस्टिस सूर्यकांत के नेतृत्व में न्याय तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने की न्यायपालिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है विशेष रूप से जेल में बंद लोगों के लिए।

