कल्लाकुरिची आत्महत्या मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा पोस्टमॉर्टम में अपनी पसंद के डॉक्टर को शामिल करने की पिता की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Shahadat

21 July 2022 5:33 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के कल्लाकुरिची में कथित तौर पर आत्महत्या करने वाली छात्रा के पिता को शव के दोबारा पोस्टमॉर्टम के लिए गठित डॉक्टरों के पैनल में अपनी पसंद के डॉक्टर को शामिल करने की मांग वाली याचिका वापस लेने की छूट दे दी।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पी नरसिम्हा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष एक नया आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता भी दी।

    अधिकारियों द्वारा कथित दुर्व्यवहार को लेकर एक निजी स्कूल परिसर में लड़की की मौत हो गई थी। इसके बाद इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुआ।

    आज जब इस मामले की सुनवाई की गई तो पीठ ने वर्तमान याचिका का उद्देश्य पूछा।

    बेंच ने पूछा,

    "(मद्रास उच्च न्यायालय) आदेश आपके पक्ष में पारित किया गया था?"

    पीड़िता के पिता की ओर से पेश एडवोकेट राहुल श्याम भंडारी ने पीठ को बताया,

    "मुझे पैनल में अपनी पसंद का फोरेंसिक विशेषज्ञ चाहिए।"

    अदालत ने आगे सवाल किया,

    "अदालत और आपके बीच किस पर भरोसा किया जाए? हम आपको डॉक्टरों का एक स्वतंत्र पैनल क्यों दें?"

    भंडारी ने कहा कि मामले की जांच काफी लापरवाही से की गई और पीड़िता के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप पर भी गौर नहीं किया गया।

    भंडारी ने कहा,

    "जांच सीबी-सीआईडी को हस्तांतरित कर दी गई है और इसके लिए हम हाईकोर्ट के बहुत आभारी हैं।"

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का रुख काफी समस्याग्रस्त रहा है।

    भंडारी ने तर्क दिया। कि 19 जुलाई को मामला लंबित होने के बावजूद, राज्य सरकार ने माता-पिता की अनुपस्थिति में और अदालत के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका के परिणाम की प्रतीक्षा किए बिना दूसरा पोस्टमार्टम किया। इससे पता चलता है कि राज्य निष्पक्ष तरीके से आगे नहीं बढ़ रहा है।

    साथ ही पहले पहले पोस्टमार्टम को जर्जर और अवैज्ञानिक तरीके से किया गया और बलात्कार के आरोप की जांच नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कई विसंगतियां हैं और यही कारण है कि हमने एक स्वतंत्र विशेषज्ञ की नियुक्ति की मांग की।

    अदालत ने पूछा,

    "क्या आपको दूसरे पोस्टमॉर्टम की सूचना दी गई थी?"

    उन्होंने कहा,

    " उन्होंने मेरे सीनियर वकील को रात 10 बजे सूचित किया कि दोपहर 1 बजे पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। कल्लाकुरिचू चेन्नई से लगभग 3 घंटे की दूरी पर है। मैं डेढ़ घंटे में वहां नहीं हो सकता। मुझे विश्वास में भी नहीं लिया गया।"

    पीठ के बीच आंतरिक चर्चा के बाद अदालत ने पूछा,

    "क्या आपको हाईकोर्ट पर भरोसा नहीं है?"

    भंडारी ने जवाब दिया,

    "मुझे हाईकोर्ट पर भरोसा है, लेकिन राज्य जिस तरह से मामले को आगे बढ़ा रहा है, उस पर नहीं।"

    अदालत ने पूछा,

    "यह सब हाईकोर्ट के संज्ञान में लाओ और तीसरे पोस्टमार्टम के लिए अनुरोध करो, क्योंकि हम 3 स्वतंत्र डॉक्टरों पर अविश्वास क्यों करें?"

    राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि दूसरा पोस्टमार्टम शाम 4 बजे तक किया गया था और माता-पिता और उनके वकील से लगातार संपर्क किया गया था, हालांकि, वे उपलब्ध नहीं थे।

    सभी दलीलों को सुनकर अदालत ने वकील को सूचित किया कि उसके पास दो विकल्प हैं- या तो इस याचिका को वापस लें और हाईकोर्ट का रुख करें, ऐसा न करने पर सुप्रीम कोर्ट मामले को खारिज कर देगा।

    भंडारी ने तब अदालत को सूचित किया कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं और हाईकोर्ट का रुख करना चाहते हैं, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

    "हाईकोर्ट मामले को देख रहा है …… यह सब अदालत के संज्ञान में लाएं।"

    जैसे ही मामला खत्म हुआ, स्टेट काउंसल के वकील ने कहा,

    "कृपया उन्हें पोस्टमॉर्टम के बाद शव ले जाने के लिए कहें, यह अभी भी मुर्दाघर में है।"

    बेंच ने कहा,

    "हाईकोर्ट को बताएं।"

    इस सप्ताह की शुरुआत में मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य को उसके माता-पिता की उपस्थिति के बिना छात्रा का पुन: पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति दी थी।

    इससे पहले अदालत ने अदालत द्वारा नियुक्त किए जाने वाले तीन डॉक्टरों और एक सेवानिवृत्त फोरेंसिक निदेशक के समूह द्वारा दोबारा पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति दी थी। बाद में जस्टिस एम दुरईस्वामी और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने लड़की के पिता द्वारा दोबारा पोस्टमॉर्टम के दौरान अपनी पसंद के डॉक्टर को शामिल करने की मांग का उल्लेख ठुकरा दिया था।

    मृतक के पिता ने तब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसी राहत की मांग करते हुए एक मौखिक याचिका दायर की, जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि हाईकोर्ट पहले से ही मामले को देख रहा है।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिता की याचिका खारिज करने के बाद, तमिलनाडु सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया क्योंकि माता-पिता शव परीक्षण प्रक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे। अस्पताल के अधिकारियों ने माता-पिता के आवास पर एक नोटिस चिपकाकर उन्हें शव परीक्षण प्रक्रिया के बारे में सूचित किया और अदालत के आदेश के अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।

    साथ ही, रविवार को कल्लाकुरिची में हुई दंगों, आगजनी और इससे जुड़ी घटनाओं की जांच के लिए अदालत के निर्देश के अनुसार एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। एसआईटी का नेतृत्व टी. प्रवीण कुमार अभिनवपु आईपीएस, पुलिस उप महानिरीक्षक करेंगे। एसआईटी घटना के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने और उल्लंघन करने वालों और उन लोगों की पहचान करने के लिए है, जिन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए और दंगे की स्थिति को भड़काया।

    एसआईटी को उन यूट्यूबर्स की पहचान करने के लिए भी उचित कार्रवाई करनी है, जिन्होंने झूठी खबरें फैलाई थीं और यूट्यूब में समानांतर मीडिया ट्रायल किए थे।

    केस टाइटल : रामलिग्नम बनाम पुलिस महानिदेशक और अन्य।

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