UN एजेंसी के भारत में शरणार्थी कार्ड जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी: जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- इन्होंने यहां शोरूम खोल रखा है
Amir Ahmad
8 Oct 2025 3:52 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने भारत में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एजेंसी द्वारा प्रवासियों को शरणार्थी कार्ड जारी करने की प्रक्रिया पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की।
जस्टिस सूर्यकांत ने कटाक्ष करते हुए कहा,
"इन्होंने यहां शोरूम खोल रखा है और सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं।"
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ सूडान के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो 2013 से भारत में रह रहा है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसके दो बच्चे, जिनमें 40 दिन का शिशु भी शामिल है और उसकी पत्नी को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (UNHCR संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग) द्वारा शरणार्थी कार्ड जारी किए गए हैं। वह ऑस्ट्रेलिया में शरण मांग रहा है और उसने सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम सुरक्षा की गुहार लगाई।
UNHCR कार्ड और भारत की स्थिति
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट एस. मुरलीधर ने तर्क दिया कि जिन व्यक्तियों को UN एजेंसी द्वारा शरणार्थी कार्ड जारी किए गए हैं, उनकी स्थिति अलग है और गृह मंत्रालय तथा विदेशी पंजीकरण कार्यालय द्वारा भी उनके साथ अलग व्यवहार किया जाता है।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,
"उन्होंने (UN एजेंसी ने) यहां एक शोरूम खोल रखा है। वे प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। हम उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहते।"
सीनियर एडवोकेट मुरलीधर ने बताया कि शरणार्थी कार्ड उचित सत्यापन के बाद जारी किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में कई साल लग जाते हैं।
उन्होंने कहा,
"दस्तावेज और फॉर्म हैं, जो दर्शाते हैं कि वे (सरकार) इस शरणार्थी स्थिति को कुछ महत्व देते हैं।"
जवाब में जस्टिस बागची ने कहा कि भारत ने शरणार्थी अधिकारों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संधि/कन्वेंशन की पुष्टि नहीं की है।
उन्होंने स्पष्ट किया,
"नगर निगम कानून में कानूनी अधिकार वास्तव में मौजूद नहीं है।"
मुरलीधर ने स्वीकार किया कि उन्हें इस बात की जानकारी है। उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीनों में दिल्ली में अफ्रीकी लोगों को यादृच्छिक रूप से पकड़े जाने की अचानक मुहिम चली है।
उन्होंने कहा,
"यह वास्तविक आशंका और डर है। हम ऑस्ट्रेलिया के लिए शरणार्थी दर्जे का इंतजार कर रहे हैं और अचानक हमें बताया गया।"
अंतरिम राहत देने के लिए अनिच्छुक जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की,
"हमें बहुत बहुत सावधान रहना होगा लाखों-लाख लोग यहां बैठे हैं। अगर कोई कोशिश करता है।"
जब मुरलीधर ने पीठ को सूचित किया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी याचिकाकर्ता के मामले का संज्ञान लिया तो पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आयोग से कोई भी आगे का निर्देश (जैसे कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने के लिए) मांगने की स्वतंत्रता दी।
गौरतलब है कि इससे पहले मई में रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन और रहने की स्थिति से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने भी कहा था कि भारत में शरणार्थी UNHCR कार्ड के आधार पर राहत का दावा नहीं कर सकते हैं।

