वोटर लिस्ट धांधली: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के आरोपों की SIT जांच वाली याचिका खारिज की
Amir Ahmad
13 Oct 2025 2:05 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर के आरोपों की विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। ये आरोप कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लगाए थे।
जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को इस मामले को पहले भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के समक्ष उठाने को कहा।
याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि चुनाव आयोग के सामने पहले ही एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया जा चुका है, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
खंडपीठ ने मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता यदि उचित समझे तो चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकता है।
वकील ने जब चुनाव आयोग को फैसला करने के लिए एक समय सीमा तय करने की मांग की तो खंडपीठ ने ऐसा कोई निर्देश पारित करने से मना कर दिया।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"हमने याचिकाकर्ता के वकील को सुना है। हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं जिसे कथित तौर पर जनहित में दायर किया गया। याचिकाकर्ता यदि उचित समझे तो चुनाव आयोग के समक्ष कार्रवाई कर सकता है।"
रोहित पांडे नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई इस याचिका में यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन और मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक चुनावी रोल का कोई और संशोधन या अंतिम रूप न दिया जाए।
याचिका में चुनाव आयोग से मतदाता सूचियों की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देश तैयार करने और जारी करने की भी मांग की गई, जिसमें डुप्लीकेट या काल्पनिक प्रविष्टियों का पता लगाने और रोकने के लिए तंत्र शामिल हों।
याचिका में लगाए गए चुनावी अनियमितताओं के आरोप
याचिकाकर्ता ने 7 अगस्त को राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया जिसमें उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवनपुरा विधानसभा क्षेत्र में कथित मतदाता सूची हेरफेर का मुद्दा उठाया था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने विपक्ष के नेता द्वारा लगाए गए आरोपों का स्वतंत्र रूप से सत्यापन किया और यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त प्रथम दृष्टया सामग्री पाई कि आरोप वैध वोटों के मूल्य को कम करने और विकृत करने के व्यवस्थित प्रयास को दर्शाते हैं।
याचिका के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र में 40,009 अमान्य मतदाता और 10,452 डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ मौजूद थीं। इसमें कहा गया कि ऐसे उदाहरण थे, जहां एक ही व्यक्ति के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग EPIC नंबर है, जबकि EPIC नंबर अद्वितीय (Unique) होना चाहिए। इसके अलावा, कई मतदाताओं के घर के पते और पिता के नाम समान हैं। एक बूथ में लगभग 80 मतदाताओं ने एक छोटे से घर का पता दिया। ऐसी घटनाएं मतदाता सूची की प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा करती हैं और फर्जी मतदान की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि मतदाता सूची में इतने बड़े पैमाने पर हेरफेर स्थापित होता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के तहत एक व्यक्ति, एक वोट के संवैधानिक जनादेश की जड़ पर हमला करता है, वैध वोटों के मूल्य को कम करता है और समानता और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

