सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पत्रकार महेश लांगा की ज़मानत याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
8 Sept 2025 6:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार महेश लांगा की ज़मानत याचिका पर नोटिस जारी किया, जो दो FIR (जिनमें धोखाधड़ी का अपराध भी शामिल है) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दर्ज है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (लांगा की ओर से) की दलील सुनने के बाद यह आदेश पारित किया, जिन्होंने तर्क दिया कि ये मामले झूठे आरोपों पर दर्ज किए गए।
सिब्बल ने आग्रह किया,
"एक FIR अग्रिम ज़मानत। दूसरी FIR अग्रिम ज़मानत। तीसरी FIR वे कहते हैं कि आयकर चोरी है।”
आरोपों के आधार पर जस्टिस कांत ने टिप्पणी की,
"वह (लांगा) किस तरह के पत्रकार हैं?"
सिब्बल ने कहा कि झूठे आरोप लगाए गए हैं तो जज ने कहा,
"बहुत सच्चे पत्रकार हैं। लेकिन कुछ लोग गाड़ी/स्कूटर पर भी हैं, जो कहते हैं कि हम पत्रकार हैं और वे क्या करते हैं, यह सबको पता है।"
इस पर सिब्बल ने कहा,
उनके ख़िलाफ़ और भी मामले हैं, उनके पास अदालत के दस्तावेज़ हैं। पृष्ठभूमि है।”
अंततः खंडपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया।
लांगा ने यह याचिका गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उनकी ज़मानत याचिका खारिज किए जाने के बाद दायर की थी। न्यायालय ने कहा था कि उनके कई पूर्ववृत्त हैं और हिरासत में रहते हुए उन्होंने गवाहों को प्रभावित किया था।
द हिंदू के साथ काम कर रहे लांगा ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि PMLA के अनुसार दोहरी शर्तें केवल उन्हीं मामलों में लागू होंग, जहां शामिल राशि 1 करोड़ रुपये से अधिक हो जबकि वर्तमान मामले में संबंधित अपराधों में शामिल कुल राशि 68.68 रुपये (FIR संख्या 1 में उल्लिखित 28.68 लाख रुपये + FIR संख्या 2 में उल्लिखित 40 लाख रुपये) थी, जो 1 करोड़ रुपये से कम है। इसलिए धारा 45 के तहत दोहरी शर्तों की कठोरता लागू नहीं होगी।
अदालत ने उनकी दलील को खारिज कर दिया और कहा कि एक करोड़ रुपये की सीमा पार न करने का मतलब यह नहीं कि उन्हें ज़मानत पर रिहा होने का अधिकार है। यह भी ध्यान दिलाया गया कि लंगा के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उनके घर से ज़ब्त किए गए 20 लाख रुपये के संबंध में उनके उनकी पत्नी और साली के बयान विरोधाभासी हैं।
नवंबर, 2024 में एक सेशन कोर्ट ने धोखाधड़ी की FIR में लंगा को अग्रिम ज़मानत दे दी थी जो एक विज्ञापन एजेंसी चलाने वाले व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
अदालत ने कहा था कि दोनों पक्षों के बीच विवाद पैसे का भुगतान न करने को लेकर था, जो मुख्यतः दीवानी प्रकृति का था। अदालत ने यह भी कहा कि कथित धोखाधड़ी मार्च 2024 और अक्टूबर, 2024 के बीच हुई थी। शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज कराने में देरी का कारण नहीं बताया।
दूसरी FIR में लंगा को फरवरी, 2025 में निचली अदालत ने अग्रिम ज़मानत दी थी। इस FIR में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने शिकायतकर्ता से 40 लाख रुपये की जबरन वसूली की थी।
केस टाइटल: महेशदान प्रभुदान लांगा बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य, विशेष अनुमति याचिका

