हमारा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम गिरफ्तारी से शुरू होता है और ज़मानत पर खत्म हो जाता है, ज़्यादातर मामलों में दोषसिद्धि नहीं होती: जस्टिस जॉयमाल्या बागची
Amir Ahmad
25 July 2025 4:46 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी अभियोजकों की कमी और उपलब्ध अभियोजकों पर अत्यधिक बोझ के कारण मुकदमों में हो रही देरी पर सवाल उठाया।
जज ने टिप्पणी की,
"मेरे अनुभव में अभियोजक 50 मुकदमों को संभालता है। क्या उस अभियोजक के लिए रोज़ाना सुनवाई करना मानवीय रूप से संभव है? यही हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का दुर्भाग्य है। यह गिरफ्तारी से शुरू होती है और ज़मानत पर खत्म होती है। न दोषसिद्धि होती है, न मुकदमा।”
जस्टिस बागची ने गैंगस्टर से संबंधित मामलों में गवाहों की सुरक्षा के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
जज ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय को बताया,
"आप विचाराधीन कैदी को जेल में रखते हैं, लेकिन गवाह को जेल में नहीं रख सकते। वह समाज में है। आप उन्हें कौन सा सुरक्षा कवच दे रहे हैं? क्योंकि वे आपकी आँखें और कान हैं। अगर आपकी आँखें और कान काम नहीं करेंगे तो अंततः हम पाते हैं कि न्याय व्यवस्था, आपराधिक न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास कम होता है। दिल्ली की सड़कों पर दिनदहाड़े हत्या हो जाती है। अंततः सबूतों के अभाव में लोग बेख़ौफ़ घूम रहे हैं। देखिए, आम आदमी की नज़र में क़ानून का राज पूरी तरह से कमज़ोर हो गया है।”
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की खंडपीठ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307/386 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25/27 के तहत अपराधों के आरोपी एक व्यक्ति के मामले की सुनवाई कर रही थी। 55 पूर्ववृत्त (2 दोषसिद्धि सहित) वाले एक "कठोर अपराधी" याचिकाकर्ता आरोपी ने ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
फरवरी में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर मामले को सूचीबद्ध किया और गैंगस्टर से संबंधित मामलों में लंबित मुकदमों के समय पर निपटारे के लिए दिल्ली सरकार से प्रस्ताव मांगा।
खंडपीठ ने भारत सरकार और दिल्ली सरकार से फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना पर विचार करने का आह्वान किया, जो ऐसे मामलों का दैनिक आधार पर निपटारा कर सकें। खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि सरकारें प्रस्तावित निर्णय लेती हैं तो सभी लंबित मुकदमों (जिनकी संख्या 288 बताई गई है) को समाप्त किया जा सकता है।
केस टाइटल: महेश खत्री उर्फ भोली बनाम दिल्ली राज्य, विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक प्रक्रिया) संख्या 1422/2025

