क्या फोरम मेम्बर्स के लिए चयन समिति में अधिक सरकारी प्रतिनिधित्व की अनुमति देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण नियम अमान्य है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

Shahadat

17 Nov 2023 7:25 AM GMT

  • क्या फोरम मेम्बर्स के लिए चयन समिति में अधिक सरकारी प्रतिनिधित्व की अनुमति देने के लिए उपभोक्ता संरक्षण नियम अमान्य है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

    सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका स्वीकार कर ली। हाईकोर्ट ने उक्त फैसले में राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का पद, त्यागपत्र और निष्कासन) नियम, 2020 के उपभोक्ता संरक्षण ((नियुक्ति के लिए योग्यता, भर्ती की विधि, नियुक्ति की प्रक्रिया, अवधि) के नियम 6(1) को रद्द कर दिया था।

    रद्द किए गए नियम में चयन समिति में राज्य नौकरशाही से दो सदस्य और न्यायपालिका से केवल एक सदस्य निर्धारित किया गया, जो राज्य उपभोक्ता आयोग और जिला उपभोक्ता मंचों में अध्यक्ष और सदस्य-न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करता है।

    हाईकोर्ट का विचार था कि यह नियम चयन प्रक्रिया में न्यायपालिका की भागीदारी को कमजोर करता है। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उपभोक्ता मंच पर की गई नियुक्तियों को भी रद्द कर दिया। हालांकि फैसले के क्रियान्वयन पर 20 अक्टूबर से चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

    10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियुक्तियों द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। कोर्ट को बताया गया कि राज्य ने भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दो प्राथमिक बिंदु उठाए।

    सबसे पहले, इंटरव्यू लिखित परीक्षा द्वारा आगे बढ़ाया जाता है, जिसे सभी उम्मीदवारों को पास करना होता है। दूसरे, अन्य न्यायाधिकरणों के विपरीत जहां राज्य एक पक्ष के रूप में शामिल होता है, उपभोक्ता मंचों में मामलों में आमतौर पर निजी व्यक्ति शामिल होते हैं। इस प्रकार, अन्य न्यायाधिकरणों में मामलों की तुलना में राज्य को मुकदमेबाजी के नतीजे में कोई दिलचस्पी नहीं है।

    खंडपीठ ने मामले को 24 नवंबर के लिए पोस्ट करते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर और विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी।"

    खंडपीठ ने हाईकोर्ट द्वारा दी गई रोक को भी अगली नियुक्ति तिथि तक बढ़ा दिया।

    हाईकोर्ट ने जिला और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए चयन प्रक्रिया को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव बनाम डॉ.महिंद्रा भास्कर लिमये और अन्य [2023 लाइवलॉ (एससी) 161] के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों से हटकर किया गया था।

    केस टाइटल: गणेशकुमार राजेश्वरराव सेलुकर और अन्य बनाम महेंद्र भास्कर लिमये और अन्य, डायरी नंबर 45299/2023

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