सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड राज्य की बार-बार गैर-हाजिरी पर गृह सचिव को तलब किया

Praveen Mishra

13 Nov 2025 4:21 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड राज्य की बार-बार गैर-हाजिरी पर गृह सचिव को तलब किया

    सुप्रीम कोर्ट ने आज झारखंड राज्य की लगातार गैर-हाजिरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि नोटिस मिलने के बावजूद राज्य अदालत में पेश नहीं हो रहा है। कोर्ट ने झारखंड सरकार के गृह सचिव को कल ऑनलाइन उपस्थित होने और इस स्थिति की स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि झारखंड हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप वाले दो सह-आरोपी को बिना किसी ठोस कारण बताए अग्रिम जमानत कैसे दे दी।

    जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ 2018 में हुई एक हत्या के मामले में याचिकाकर्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता पर IPC की धारा 147, 148, 149, 302 और आर्म्स एक्ट की कई धाराओं के तहत आरोप हैं। उसे और दो अन्य को गवाहों के बयान के आधार पर धारा 319 CrPC के तहत अतिरिक्त आरोपी बनाया गया था।

    झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत क्यों ठुकराई?

    8 अप्रैल को जस्टिस अंबुज नाथ ने कहा था कि आरोप गंभीर हैं, इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती।

    आज सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया कि बाकी दो सह-आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल चुकी है, जिसके बाद कोर्ट ने पूछा कि झारखंड सरकार नोटिस के बावजूद अदालत में पेश क्यों नहीं हो रही।

    जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि यह झारखंड राज्य के साथ बार-बार होने वाली समस्या है—पिछले हफ्ते भी एक गंभीर मामले में राज्य पेश नहीं हुआ था। उसी मामले में कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट पर यह कहते हुए कड़ी टिप्पणी की थी कि उसने हत्या के दोषियों को “सामान्य और ओम्निबस आरोप” बताकर बिना कारण बताए जमानत दे दी थी।

    कोर्ट ने यह भी कहा था कि उस मामले में राज्य सरकार ने सजा निलंबन के खिलाफ अपील भी नहीं की।

    सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी

    कोर्ट ने आज कहा:

    “यह आज का दूसरा मामला है जिसमें झारखंड राज्य पेश नहीं हुआ। काफी समय से राज्य बार-बार गैर-जिम्मेदारी दिखा रहा है। कई मामलों में राज्य पेश ही नहीं होता या बहुत देर से आता है। आज भी कोई उपस्थित नहीं है।”

    कोर्ट ने यह भी कहा कि—

    • पुलिस की जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि याचिकाकर्ता अपराध में शामिल नहीं था

    • लेकिन ट्रायल के दौरान तीन गवाहों के बयान में उसका नाम आया

    • हाईकोर्ट ने बहुत ही संक्षिप्त और अस्पष्ट आदेश से जमानत याचिका खारिज कर दी

    • दो सह-आरोपियों को अग्रिम जमानत कैसे मिली, इसका भी कोई कारण आदेश में नहीं दिया गया

    कोर्ट ने कहा कि राज्य पक्ष की दलील सुने बिना मामले को समझना मुश्किल है।

    गृह सचिव को तलब

    कोर्ट ने आदेश दिया:

    “झारखंड के गृह सचिव कल ऑनलाइन उपस्थित हों। रजिस्ट्री तुरंत आदेश की जानकारी दे।”

    झारखंड पर सुप्रीम कोर्ट की लगातार नाराज़गी

    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह जानकर हैरानी जताई थी कि झारखंड हाईकोर्ट में 61 सिविल मामलों में आरक्षित फैसलों में से 47 मामलों में अब तक निर्णय नहीं सुनाया गया है।

    एक अन्य मामले में भी राज्य सरकार की कोर्ट आदेशों का पालन न करने पर अदालत ने नाराज़गी जताई थी।

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