लेबर कोर्ट में वैकेंसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया
Shahadat
11 Nov 2025 6:37 PM IST

श्रम और औद्योगिक न्यायालयों में लगभग 40% रिक्तियों की जानकारी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात राज्य और उसके हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"हमें प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात राज्य को हाईकोर्ट के परामर्श से विभिन्न न्यायालयों को पर्याप्त सचिवालयी सहायता और अन्य बुनियादी ढांचागत सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। नोटिस जारी किया जाए।"
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश एमिक्स क्यूरी आस्था शर्मा द्वारा पूर्व में स्वतः संज्ञान लेते हुए शुरू की गई कार्यवाही में उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के बाद पारित किया।
एमिक्स क्यूरी ने न्यायालय को सूचित किया कि न्यायालय के आदेशों के अनुसरण में गुजरात हाईकोर्ट से प्राप्त जानकारी चौंकाने वाली थी।
उन्होंने कहा,
"श्रम और औद्योगिक न्यायालयों में लगभग 40% रिक्तियां, यौन उत्पीड़न की शिकायतें, अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार... लेकिन कोई समाधान नहीं। वास्तव में कोई स्टेनोग्राफर ही नहीं हैं। तदर्थ पूल का दैनिक आधार पर उपयोग किया जा रहा है, इसलिए कोई जवाबदेही नहीं है। हाईकोर्ट द्वारा लंबित मामलों का कारण अधिकांश मामलों में वकीलों की अनुपलब्धता बताया गया, जो काफी चौंकाने वाला है। राज्य में वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए केवल 11 मध्यस्थों को प्रशिक्षित किया गया।"
इन दलीलों पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव के माध्यम से गुजरात राज्य और महापंजीयक के माध्यम से हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया। एमिक्स क्यूरी की रिपोर्ट की कॉपी सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को भेजने का आदेश दिया गया। इसके अलावा, खंडपीठ ने निर्देश दिया कि गुजरात के सरकारी वकील को आदेश से अवगत कराया जाए ताकि वह अगली तारीख पर निर्देशों के साथ उपस्थित हो सकें।
पिछले आदेश में कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट से अनुरोध किया जा सकता है कि वह (i) उच्च न्यायिक सेवाओं के अधिकारियों को चयन ग्रेड प्रदान करने के संबंध में विस्तृत जानकारी भेजे, बशर्ते कि वह हाईकोर्ट द्वारा नियमों में निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हों और यह भी कि उन्हें उचित चयन ग्रेड प्रदान किया गया है या नहीं।
कोर्ट ने कहा था,
"इसी प्रकार, इस कोर्ट को यह भी अवगत कराया जाना चाहिए कि क्या अधिकारियों को वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) समय पर भेजी जाती हैं। वार्षिक मूल्यांकन आदेश और ACR भेजने की अवधि का विवरण भी प्रस्तुत किया जाए। हालांकि, यदि ACR नहीं भेजी गईं तो इसका कारण भी दर्ज किया जाए।"
Case Title: GUJARAT INDUSTRIAL INVESTMENT CORPORATION LTD. Versus VARANASI SRINIVAS AND ORS., MA 1340/2025 in C.A. No. 7119/2025

