सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के कुलपतियों की नियुक्ति के अधिकार पर संशोधन पर हाईकोर्ट के रोक के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

5 July 2025 10:47 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के कुलपतियों की नियुक्ति के अधिकार पर संशोधन पर हाईकोर्ट के रोक के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार द्वारा मद्रास हाईकोर्ट द्वारा राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के राज्यपाल के अधिकार को छीनने वाले विधायी संशोधनों पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।

    जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने आदेश पारित किया और मामले को न्यायालय के समक्ष लंबित समान मामलों के साथ जोड़ दिया। इसके अलावा, अंतरिम राहत और राज्य को मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए उल्लेख करने की स्वतंत्रता दिए जाने के राज्य के अनुरोध पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया।

    संक्षेप में मामला

    विषय संशोधनों ने राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया और इसे राज्य सरकार में निहित कर दिया। इन संशोधनों को चुनौती देते हुए प्रतिवादी नंबर 1-के वेंकटचलपति ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार द्वारा लाए गए 12 संशोधन केंद्रीय कानून यानी यूजीसी विनियमों के प्रतिकूल हैं।

    21 मई को हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय (जिसमें राज्यपाल की शक्तियों के दायरे को परिभाषित किया गया) के अनुसरण में लाए गए संशोधनों पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया। यह तब हुआ जब तमिलनाडु उच्च शिक्षा विभाग ने न्यायालय को सूचित किया कि मामले को स्थानांतरित करने के लिए राज्य की याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

    व्यथित होकर राज्य ने वर्तमान याचिका दायर की।

    मामले की पृष्ठभूमि

    हाईकोर्ट के समक्ष याचिका में तमिलनाडु राज्य द्वारा पारित विधायी संशोधनों की श्रृंखला को चुनौती दी गई, जिसके तहत कुलपति की नियुक्ति की शक्ति राज्यपाल से राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दी गई। प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा दायर की गई उक्त याचिका में दावा किया गया कि राज्य सरकार द्वारा लाए गए 12 संशोधन केंद्रीय कानून यानी यूजीसी विनियमों के प्रतिकूल हैं। उनके अनुसार, यूजीसी विनियमों में यह अनिवार्य है कि कुलपतियों की नियुक्ति कुलाधिपति द्वारा सर्च कमेटी द्वारा अनुशंसित पैनल में से की जाए और राज्य सरकार को यह शक्ति प्रदान करके संशोधन कुलाधिपति की भूमिका को दरकिनार कर रहे थे।

    इस मामले की सुनवाई 21 मई को हाईकोर्ट में हुई, जब तमिलनाडु उच्च शिक्षा विभाग (TNHED) ने सूचित किया कि राज्य की स्थानांतरण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2-3 दिनों में विचार किया जा सकता है। आग्रह किया कि हाईकोर्ट के समक्ष मामले को स्थगित कर दिया जाए। राज्य के एडवोकेट जनरल ने भी रोक लगाने की प्रार्थना का विरोध किया, यह इंगित करते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने के विरुद्ध निर्णय दिया है, जब तक कि उसे पूर्व दृष्टया अवैध न पाया जाए।

    TNHED ने यह भी तर्क दिया कि रिट-याचिकाकर्ता(ओं) द्वारा जिस राजपत्र अधिसूचना पर भरोसा किया गया, वह जाली है और राज्य द्वारा पारित नहीं है। इसने सुझाव दिया कि इस बात की जांच के लिए CB-CID जांच की जानी चाहिए कि इस तरह का जाली राजपत्र न्यायालय के समक्ष कैसे दायर किया गया।

    हालांकि, हाईकोर्ट ने स्थगन की याचिका खारिज कर दी, रिट-याचिकाकर्ताओं को सुना और विषय संशोधनों पर रोक लगाने का आदेश दिया। व्यथित होकर राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    Case Title: THE STATE OF TAMIL NADU AND ANR. Versus K. VENKATACHALAPATHY @KUTTY AND ORS., SLP(C) No. 17220/2025

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