सुप्रीम कोर्ट ने 'निरर्थक' याचिका दायर करने वाले वकील पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

Shahadat

24 April 2025 3:46 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने निरर्थक याचिका दायर करने वाले वकील पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

    सुप्रीम कोर्ट ने निरर्थक याचिका दायर करने वाले एक वकील को कड़ी फटकार लगाई और उस पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा कानूनी प्रक्रिया के लगातार दुरुपयोग पर नाराजगी व्यक्त की, जो स्वयं भी एक वकील है और उसने पीठ के समक्ष अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है।

    खंडपीठ ने कहा,

    "याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित है। वह एक वकील है और कानून की बारीकियों को समझता है। फिर भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर करने का साहस रखता है। उसने न केवल न्यायालय का बल्कि रजिस्ट्री का भी बहुमूल्य समय बर्बाद किया बल्कि न्यायालय के पूरे माहौल को खराब किया है।"

    याचिकाकर्ता द्वारा विभिन्न न्यायालयों में दायर की गई विभिन्न तुच्छ याचिकाओं का उल्लेख करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पिछले 3 वर्षों से एक रजिस्टर्ड वकील होने के बावजूद, याचिका में की गई प्रार्थनाएं बुनियादी कानूनी ज्ञान से रहित है।

    आगे कहा गया,

    "हमने याचिका में दावा की गई राहतों का भी अवलोकन किया, जो कानून के बुनियादी ज्ञान वाला विवेकशील वकील भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका में दावा नहीं करेगा, लेकिन फिर भी याचिकाकर्ता ने अभी भी वे सभी प्रार्थनाएं की है। हालांकि, पिछले तीन वर्षों से वह बार काउंसिल में रजिस्टर्ड है और इस न्यायालय सहित विभिन्न न्यायालयों में अपने मामलों में पेश हो रहा है। याचिका में लगाए गए आरोप और दावा की गई राहत पूरी तरह से तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण हैं।"

    हालांकिस खंडपीठ ने याचिका में की गई प्रार्थनाओं की प्रकृति के बारे में विस्तार से नहीं बताया।

    सुनवाई के दौरान, जब याचिकाकर्ता ने केवल याचिका वापस लेने पर जोर दिया तो खंडपीठ ने उसे अनुमति नहीं दी और तर्क दिया:

    "अगर हम ऐसी याचिकाओं को सरलता से वापस लेने की अनुमति देते हैं तो इससे वादियों को कोई भी तुच्छ याचिका दायर करने और फिर सरलता से वापस लेने का गलत संदेश जाएगा।"

    खंडपीठ ने याचिका खारिज की और ऐसी तुच्छ याचिकाएं दायर करने के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

    अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा:

    "तदनुसार, हम इस याचिका को 5,00,000/- रुपये (केवल पांच लाख रुपये) के जुर्माने के साथ खारिज करते हैं, जिसे चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा किया जाना चाहिए। इस तरह की जमा राशि का सबूत आज से छह सप्ताह के भीतर इस न्यायालय की रजिस्ट्री के समक्ष दाखिल किया जा सकता है। यदि याचिकाकर्ता द्वारा ऊपर बताए गए समय के भीतर जमा राशि का सबूत दाखिल नहीं किया जाता है तो रजिस्ट्री मामले को इस न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करेगी।"

    केस टाइटल: संदीप टोडी बनाम भारत संघ और अन्य। | रिट याचिका(याचिकाएँ)(सिविल) संख्या 240/2025

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