सुप्रीम कोर्ट ने लगातार कार्यवाही में एक ही कारण को बार बार उठाने के लिए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये की जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

2 Dec 2020 10:47 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने लगातार कार्यवाही में एक ही कारण को बार बार उठाने के लिए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये की जुर्माना लगाया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिकाकर्ता पर 'कानून की प्रक्रिया के घोर दुरुपयोग' के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की लगातार कार्यवाही में एक ही कारण से बार-बार शीर्ष अदालत का रुख किया।

    न्यायमूर्ति रोहिंतन नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के.एम जोसेफ की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से इस पर स्पष्टीकरण की मांगा कि इस तरह के आवेदनों को सूचीबद्ध कैसे किया जा रहा है?

    न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा,

    "आप एक पुनर्विचार याचिका में हमारे सामने आए हैं जिसे खारिज कर दिया गया था, फिर एक रिट याचिका में एक पूर्व आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे खारिज कर दिया गया था। फिर अवमानना याचिका और अब एक और आवेदन। यह कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है, हम भारी जुर्माना लगाएंगे ।

    न्यायाधीश ने कहा,

    "हम रजिस्ट्री से एक नोट भी चाहते हैं कि ऐसी याचिकाएं कैसे सूचीबद्ध की गई हैं? "

    याचिकाकर्ता ने आग्रह किया,

    "मैंने धोखाधड़ी के आधार पर कभी सुनवाई की कोशिश नहीं की। कब्जा नीलामी क्रेता को सौंप दिया गया। वह एक फर्जी दस्तावेज था।"

    जस्टिस नरीमन को फटकार लगाई,

    "अपने अपराध को युग्मित करने का प्रयास बंद करें। यदि आप झूठे बयान देते हैं, तो हम आपके खिलाफ झूठी गवाही नोटिस जारी करेंगे। 9 अप्रैल, 2019 के आदेश को देखें- इसमेंविशेष रूप से कहा गया है कि आपकी सुनवाई की गई है। इसमें विशेष रूप से रिकॉर्ड है कि पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया गया था और फिर रिट याचिका को भी खारिज कर दिया गया। हमें न बताएं कि आपको सुना नहीं गया है।"

    पीठ को आदेश दिया कि,

    "याचिकाकर्ता एक स्पष्ट झूठ कह रहा है कि उसे पहले कभी नहीं सुना गया है, यहां तक कि धोखे से एक ही आधार एक पुनर्विचार याचिका, एक रिट याचिका और एक अवमानना याचिका में एक ही मामला उठाया गया। यह कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है। हम याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हैं जिसका भुगतान 8 सप्ताह के भीतर किया जाए। रजिस्ट्री को यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है कि ऐसे आवेदनों को कैसे सूचीबद्ध किया जा रहा है।"

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