सुप्रीम कोर्ट ने लैंसडाउन हेरिटेज इमारतों के संरक्षण पर IIT रुड़की से रिपोर्ट मांगी

Shahadat

3 Sept 2025 7:33 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने लैंसडाउन हेरिटेज इमारतों के संरक्षण पर IIT रुड़की से रिपोर्ट मांगी

    सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की को निर्देश दिया कि वह इस बात की जाँच करे कि क्या मैसूर स्थित 19वीं सदी की देवराज मार्केट बिल्डिंग और लैंसडाउन बिल्डिंग को मरम्मत या नवीनीकरण के ज़रिए संरक्षित किया जा सकता है। रिपोर्ट सीलबंद लिफ़ाफ़े में दाखिल की जानी है।

    जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कर्नाटक के अधिकारियों द्वारा हेरिटेज इमारतों को ध्वस्त करके उनका उसी अग्रभाग के साथ पुनर्निर्माण करने के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

    भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास (INTACH) की उस रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए कि नवीनीकरण और मरम्मत से संरक्षण संभव है, न्यायालय ने कहा,

    "प्रथम दृष्टया, यदि कुछ मरम्मत/नवीनीकरण के साथ दोनों संरचनाओं को उनके वर्तमान स्वरूप में संरक्षित करना संभव है तो उन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। हालांकि विशेषज्ञ निकाय के रूप में INTACH की एक रिपोर्ट उपलब्ध है। फिर भी हम IIT रुड़की से एक और रिपोर्ट मंगवाना चाहेंगे।"

    सीनियर जर्नालिस्ट जी. सत्यनारायण गौरी द्वारा दायर याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के 8 अगस्त, 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें पुनर्विकास परियोजना के तहत विरासत भवनों को गिराए जाने से रोकने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

    4 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और INTACH को पक्षकार बनाया था।

    उस सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने कहा कि ये संरचनाएं औपनिवेशिक काल की इमारतें नहीं थीं, बल्कि मैसूर रियासत की थीं। कहा कि इनके जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाना चाहिए।

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉ. आदित्य सोंधी ने पेश होते हुए तर्क दिया कि इन संरचनाओं को कर्नाटक नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम, 1961 की धारा 2(1ea) के तहत विरासत भवन घोषित किया गया। उन्होंने यूनेस्को समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें जीर्णोद्धार का समर्थन किया गया।

    खंडपीठ ने लागत और दीर्घकालिक व्यवहार्यता को लेकर चिंताएं व्यक्त कीं और कहा कि जीर्णोद्धार की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इससे इमारतों का जीवनकाल केवल 30-40 साल ही बढ़ सकता है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि आंशिक जीर्णोद्धार के बाद लैंसडाउन भवन का एक हिस्सा ढह गया, जिससे व्यवहार्यता पर संदेह पैदा हो रहा है।

    IIT रुड़की द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अब न्यायालय इस याचिका पर सुनवाई करेगा।

    Case Title – G. Satyanarayana Gouri Satya v. State of Karnataka

    Next Story