प्रधानमंत्री पर कथित सोशल मीडिया पोस्ट मामले में BJP कार्यकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

Praveen Mishra

19 Dec 2025 5:21 PM IST

  • प्रधानमंत्री पर कथित सोशल मीडिया पोस्ट मामले में BJP कार्यकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बेंगलुरु निवासी भाजपा कार्यकर्ता गुरुदत्त शेट्टी द्वारा दायर उस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कथित रूप से निशाना बनाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

    चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की खंडपीठ गुरुदत्त शेट्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका उस पोस्ट से संबंधित थी, जो सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर “Jawaharlal Nehru Satire” नामक एक पैरोडी अकाउंट से साझा की गई बताई गई है। इस मामले में शेट्टी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(4) और धारा 79 के तहत संज्ञेय और जमानती अपराधों में मामला दर्ज किया गया है।

    सुनवाई की शुरुआत में शेट्टी के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता को कुछ दिनों की अंतरिम सुरक्षा दी जाए, ताकि वह संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सके। वकील ने कहा, “मुझे केवल 5–7 दिनों की सुरक्षा चाहिए, ताकि मैं खुद को सुरक्षित कर सकूं, क्योंकि ये जमानती अपराध हैं।” यह भी दलील दी गई कि शेट्टी ने विवादित पोस्ट स्वयं नहीं लिखी थी, बल्कि केवल उस पोस्ट को एक प्रश्नचिह्न के साथ रीपोस्ट किया था।

    इस पर चीफ़ जस्टिस ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता चाहता है कि अदालत खुले न्यायालय में उस पोस्ट की सामग्री पढ़े। जब वकील ने कहा कि पोस्ट को याचिका के साथ संलग्न नहीं किया गया है, तो CJI ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता के भीतर अपने कृत्य को लेकर कोई पश्चाताप नहीं दिखता। उन्होंने कहा,

    “आपने पोस्ट संलग्न नहीं की है क्योंकि आपको अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। जिन लोगों को आप गाली दे रहे हैं, उनके लिए आपके पास एक भी सहानुभूतिपूर्ण शब्द नहीं है।”

    खंडपीठ ने कोई राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह मामला न्यायालय के विवेकाधीन अधिकारों के प्रयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। अपने आदेश में अदालत ने कहा,

    “याचिकाकर्ता ने अभिव्यक्ति और भाषण की पवित्र मौलिक स्वतंत्रता का खुलेआम दुरुपयोग किया है; ऐसे में इस न्यायालय द्वारा कोई विवेकाधीन राहत या संरक्षण नहीं दिया जा सकता।”

    हालांकि, याचिका खारिज करते हुए पीठ ने यह स्पष्ट किया कि शेट्टी कानून के अनुसार उचित राहत के लिए संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। लेकिन जब याचिकाकर्ता के वकील ने फिर से सात दिन की सुरक्षा की मांग की, तो CJI ने सख्ती से कहा,

    “सुरक्षा का कोई प्रश्न ही नहीं है।”

    एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त पोस्ट का उद्देश्य प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना था।

    अपनी याचिका में शेट्टी ने दावा किया था कि अहमदाबाद पुलिस 10 नवंबर को बिना किसी वारंट के उनके बेंगलुरु स्थित आवास पर पहुंची और जबरन उन्हें कार में बैठाकर गुजरात ले जाने की बात कही। काफी विरोध और चर्चा के बाद उन्हें आधी रात को छोड़ दिया गया और बाद में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35 के तहत जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस दिया गया।

    शेट्टी ने एफआईआर को अवैध, मनमाना और संविधान तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत प्रदत्त सुरक्षा उपायों का उल्लंघन बताते हुए रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने विवादित नोटिस पर अंतरिम रोक लगाने की भी प्रार्थना की थी और तर्क दिया था कि यह अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों तथा BNSS की धारा 35 के विपरीत है।

    यह याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड राशि जिंदल के माध्यम से दायर की गई थी। मामले का शीर्षक गुरुदत्त शेट्टी के. बनाम राज्य गुजरात, डब्ल्यूपी (क्रिमिनल) संख्या 515/2025 है।

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