सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुरक्षित और सुलभ फुटपाथों के लिए दिशानिर्देश बनाने का आखिरी मौका दिया
Shahadat
1 Aug 2025 1:34 PM IST

14 मई के आदेश के अनुसरण में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को पैदल चलने वालों के अधिकारों की रक्षा के लिए नियम बनाने का "एक आखिरी मौका" दिया, जिसमें दिव्यांगजनों के लिए फुटपाथों को सुलभ बनाना भी शामिल है।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने मई में कहा था कि फुटपाथ का उपयोग करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक अनिवार्य पहलू है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट और एमिक्स क्यूरी गौरव अग्रवाल ने न्यायालय को सूचित किया कि वे मई के आदेश के अनुसरण में केंद्र द्वारा तैयार किए जाने वाले दिशानिर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए पूर्व जज जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।
उन्होंने कहा,
"एक बार ये दिशानिर्देश निर्धारित हो जाने के बाद समिति उन दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन और निगरानी शुरू कर सकती है, खासकर पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए... यह वास्तव में महत्वपूर्ण है, क्योंकि राजमार्गों पर बड़ी संख्या में पैदल यात्रियों की मौतें हो रही हैं। 10,000 मौतें हो चुकी हैं..."
इस तर्क और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी के इस कथन पर विचार करने के बाद कि केंद्र सरकार दिशानिर्देश बनाएगी, न्यायालय ने टिप्पणी की:
"एमिक्स क्यूरी मिस्टर गौरव अग्रवाल, भारत सरकार की ओर से उपस्थित एडवोकेट विक्रमजीत बनर्जी और एडवोकेट किशन जैन को सुना, जिन्होंने मुख्य मामले में दो अंतरिम आवेदन प्रस्तुत किए थे। यह मुकदमा पैदल यात्रियों की सुरक्षा से संबंधित है।
दो अंतरिम आवेदनों के माध्यम से यह बताया गया कि नागरिकों के उपयोग के लिए उचित फुटपाथ होना आवश्यक है। दूसरा, फुटपाथ ऐसे होने चाहिए, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ और उपयोग योग्य हों। तीसरा, फुटपाथों पर अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है।
हम समय-समय पर विभिन्न पीठों द्वारा पारित विभिन्न आदेशों का संज्ञान लेते हैं। इस वक्त जब इस मामले की सुनवाई हुई, हमने एमिक्स क्यूरी मिस्टर अग्रवाल से इस मामले में प्रगति के बारे में पूछताछ की। एमिक्स क्यूरी ने बताया कि जहां तक इस मामले में उल्लिखित तीन मुख्य मुद्दों का संबंध है, भारत संघ को दिशानिर्देश तैयार करने होंगे। उन्होंने आगे बताया कि राज्य सरकारों को भी दिशानिर्देश तैयार करने होंगे या यदि वे उचित समझें तो भारत संघ द्वारा तैयार दिशानिर्देशों को अपनाना होगा।
हम आवश्यक दिशानिर्देश तैयार करने और उन्हें इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय देते हैं। यदि केंद्र अगली सुनवाई तक दिशानिर्देश तैयार करने में असमर्थ रहता है तो यह न्यायालय एमिक्स क्यूरी की सहायता से आवश्यक कार्यवाही करेगा।"
Case Details: S.RAJASEEKARAN Vs UNION OF INDIA AND ORS|W.P.(C) No. 295/2012

