सुप्रीम कोर्ट ने SDM पर हमला करने और उनका वाहन जलाने के आरोपी पूर्व विधायक किशोर समरीते को अंतरिम जमानत दी

Shahadat

5 Nov 2024 9:47 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने SDM पर हमला करने और उनका वाहन जलाने के आरोपी पूर्व विधायक किशोर समरीते को अंतरिम जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (SP) के पूर्व विधायक किशोर समरीते को अंतरिम जमानत दी, जिन्हें सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट पर हमला करने और उनके वाहन को आग लगाने के लिए दोषी ठहराया गया और 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ समरीते की अपील पर यह आदेश पारित किया, जिसने विशेष अदालत द्वारा लगाए गए दोषसिद्धि और सजा के आदेश को आंशिक रूप से संशोधित किया था।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया,

    "याचिकाकर्ताओं के वकीलों और राज्य के वकीलों को सुनने और सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करने की शर्त पर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।"

    मुख्य याचिका पर सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।

    संक्षेप में कहा जाए तो मामला अप्रैल 2004 की घटना से जुड़ा है, जब गैरकानूनी तरीके से एकत्रित लोगों ने एसडीएम लांजी के कार्यालय में फर्नीचर तोड़ दिया। एसडीएम के वाहन में आग लगा दी थी। इस संबंध में एसडीएम ने शिकायत की थी और समरीते तथा 6 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

    वर्ष 2009 में समरीते तथा अन्य को भारतीय दंड संहिता की धारा 332/149, 427/149, 435/149 तथा 147 के साथ-साथ SC/ST Act, 1989 की धारा 3(1)(x) के तहत दोषी करार दिया गया तथा कारावास की सजा सुनाई गई। इस निर्णय को चुनौती देते हुए दोषी व्यक्तियों (समरिते सहित) ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    समरिते ने अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। बहरहाल, पूर्व विधायक की सजा निलंबित कर दी गई तथा उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।

    अंततः, आरोपित आदेश के तहत हाईकोर्ट ने आईपीसी के प्रावधानों के तहत अभियुक्तों की दोषसिद्धि और सजा बरकरार रखी। हालांकि, SC/ST Act के तहत दोषसिद्धि खारिज कर दी गई। उन्हें स्पेशल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया।

    समरिते द्वारा उठाए गए आधार

    दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देते हुए समरिते ने अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित आधार उठाए हैं:

    - हाईकोर्ट इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि उसे उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा मामले में गलत तरीके से फंसाया गया, क्योंकि वह घटना के समय समाजवादी पार्टी का राज्य उपाध्यक्ष था और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार था।

    - हाईकोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए था कि आईपीसी की धारा 149 (धारा 141 के साथ) को बिना किसी सबूत के लागू नहीं किया जा सकता कि सभा गैरकानूनी थी या सभा के गैरकानूनी उद्देश्य के बारे में जानकारी नहीं थी।

    - हाईकोर्ट यह विचार करने में विफल रहा कि क्या आईपीसी की धारा 435 [100 रुपये या (कृषि उपज के मामले में) 10 रुपये का नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाना] के तहत कोई अपराध विस्फोटक पदार्थ की मौजूदगी या उसकी बरामदगी के किसी फोरेंसिक सबूत के बिना बनता है।

    - हाईकोर्ट को बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पर विचार करना चाहिए था, जिन्होंने कहा कि वह कथित अपराध के घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे।

    - हाईकोर्ट को यह विचार करना चाहिए कि केवल गैरकानूनी जमावड़े का हिस्सा होने से ही आरोपी व्यक्ति आईपीसी की धारा 332/149, 427/149 या 435/149 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

    केस टाइटल: किशोर समरिते बनाम मध्य प्रदेश राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 9251/2024

    Next Story