सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पीएफआई नेता अब्दुल रजाक पीडियाक्कल को जमानत दी

Avanish Pathak

26 Aug 2023 7:03 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पीएफआई नेता अब्दुल रजाक पीडियाक्कल को जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क‌थित पीएफआई नेता अब्दुल रजाक पीडियाक्कल को पीएमएलए मामले में जमानत दे दी। उन पर पीएफआई के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठा करने और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है।

    शीर्ष अदालत ट्रायल कोर्ट को जमानत की शर्तें लगाने का निर्देश दिया, जिनमें सप्ताह में एक बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच अधिकारी के सामने पेश होना, अपना पासपोर्ट जमा करना और मुकदमा पूरा होने तक उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ना शामिल है।

    उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजाक को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने जमानत देते हुए कहा कि महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि मामले में अन्य सभी सह आरोपियों को जमानत दे दी गई थी, जबकि अपीलकर्ता 10 मार्च 2022 से हिरासत में था।

    एएसजी एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया और कहा कि अपीलकर्ता आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है और उस पर इसके लिए धन इकट्ठा करने का आरोप है। हालांकि, जस्टिस बोपन्ना ने टिप्पणी की कि यदि वह जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो ईडी जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है। एएसजी ने यह भी तर्क दिया कि जिन सह आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है उनकी भूमिकाएं अलग हैं और रजाक की भूमिका बहुत गंभीर है।

    पृष्ठभूमि

    प्रवर्तन निदेशालय ने दिसंबर 2021 में पीडियाक्कल के आवास के साथ-साथ मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट (एमवीवीपी) साइट पर छापा मारा, जिसमें उसे विदेशों से संदिग्ध विदेशी धन की प्राप्ति और किए गए नकद खर्चों और खातों-बहियों में कई विसंगतियां मिलीं।

    इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और प्रवर्तन निदेशालय ने उनके और उनके सह-अभियुक्तों के खिलाफ लखनऊ में विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप पत्र दायर किया।

    ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र में कहा गया कि अब्दुल रजाक और उनके सह आरोपियों ने पीएफआई की गैरकानूनी गतिविधियों के लिए इसका उपयोग करने के उद्देश्य से भारत के साथ-साथ विदेशों में भी धन जुटाने की साजिश रची।

    ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि पीडियाक्कल मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट (एमवीवीपी) का सबसे बड़ा शेयरधारक था, जिसे कथित तौर पर विदेश और भारत से एकत्र किए गए धन को वैध बनाने के मकसद से स्थापित किया गया था।

    ईडी की चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया है कि उसके पास कुछ अन्य कंपनियां भी थीं और उनका इस्तेमाल पीएफआई की गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा था।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजाक को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि वह सह-अभियुक्त सिद्दीक कप्पन के साथ समानता का दावा नहीं कर सकता क्योंकि कप्पन पर आरोप है कि सह-अभियुक्त अतीकुर रहमान के बैंक खाते में 5,000 रुपये स्थानांतरित किए गए थे, जबकि अब्दुल के खिलाफ मौजूदा मामले में अपराध की आय करोड़ों में है।

    केस टाइटल: अब्दुल रजाक पीडियाक्कल बनाम भारत संघ, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 4627/2023

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