सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए नीति पर निर्णय लेने के लिए केंद्र को समय दिया

Shahadat

17 Feb 2025 6:43 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए नीति पर निर्णय लेने के लिए केंद्र को समय दिया

    जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दोषियों की समयपूर्व रिहाई के लिए नीति बनाने के लिए कहा था, उस मामले में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसे ध्यान में रखते हुए केंद्र को उचित निर्णय लेने के लिए आज 4 सप्ताह का समय दिया गया।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और आदेश पारित करते हुए कहा,

    "ए़डिशनल सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से प्राप्त रिपोर्ट के संदर्भ में उचित निर्णय लेने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा और उन्हें यह समय दिया गया।"

    यह मामला तत्कालीन रणबीर दंड संहिता की धारा 302 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 30 के तहत अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी से संबंधित है। उसे 3 सहकर्मियों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और उसने लगभग 18 साल हिरासत में बिताए।

    इससे पहले की एक तारीख को न्यायालय ने पाया कि जम्मू-कश्मीर के वकील याचिकाकर्ता की समयपूर्व रिहाई का केवल इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि कारावास की अवधि के आधार पर समयपूर्व रिहाई के लिए केंद्र शासित प्रदेश द्वारा कोई नीति नहीं बनाई गई। न्यायालय का मानना ​​है कि उक्त आधार अस्वीकार्य हो सकता है, इसलिए न्यायालय ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को अपेक्षित नीति बनाने की सलाह दी जानी चाहिए।

    न्यायालय ने अनुपालन रिपोर्ट मांगते हुए आदेश देते हुए कहा,

    अतः हम केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष इस मामले को उठाएं, जिससे सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित समझे जाने वाले नीतिगत निर्णय लिए जा सकें।"

    सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस कांत ने एएसजी केएम नटराज (संघ की ओर से) को बताया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से "कुछ अनुकूल रिपोर्ट" है, जिसके बाद एएसजी ने कहा कि उन्हें सत्यापन/जांच के लिए समय दिया जा सकता है।

    केस टाइटल: आनंद कुमार सिंह बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य, डब्ल्यू.पी.(सीआरएल.) नंबर 335/2024

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