सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत आदेश पर मजिस्ट्रेट के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट की आलोचनात्मक टिप्पणी हटाई
Shahadat
19 July 2025 10:16 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के न्यायिक अधिकारी को राहत प्रदान करते हुए हाईकोर्ट द्वारा आदेश में उनके विरुद्ध पारित प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया।
हाईकोर्ट ने ज़मानत याचिका खारिज करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट, अधिकारी की कड़ी आलोचना की और मामले में सह-अभियुक्त को ज़मानत देने के तरीके की आलोचना की। हाईकोर्ट ने कहा कि ज़मानत "बेहद अनुचित और लापरवाही भरे तरीके से दी गई और उक्त अभियुक्त के आपराधिक रिकॉर्ड की अनदेखी की गई।"
हाईकोर्ट ने जुगल बनाम राजस्थान राज्य मामले में हाईकोर्ट के फैसले का पालन न करने के लिए मजिस्ट्रेट की भी आलोचना की, जिसमें जजों को ज़मानत आदेशों में अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास को सारणीबद्ध रूप में शामिल करना अनिवार्य किया गया था (ध्यान दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में जुगल मामले में जारी निर्देशों को अस्वीकार कर दिया था)।
मजिस्ट्रेट के आचरण को अनुशासनहीनता, अज्ञानता और अवज्ञा मानते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस निर्देश से व्यथित होकर मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने स्थापित कानून का हवाला देते हुए कहा,
"हाईकोर्ट को न्यायिक मामलों पर निर्णय देते समय न्यायिक अधिकारियों पर सामान्यतः कठोर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।"
न्यायालय ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के आदेश का आधार जुगल मामले में दिए गए निर्देशों की अवहेलना, अब समाप्त हो चुका है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अयूब खान बनाम राजस्थान राज्य मामले में उन्हें निरस्त कर दिया था।
न्यायालय ने कहा,
"इस पृष्ठभूमि में हमारा दृढ़ मत है कि हाईकोर्ट द्वारा अपीलकर्ता-न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध पारित की गई आलोचनाएं अनुचित थीं। इसलिए उन्हें हटा दिया जाता है। इस आदेश को इस सीमा तक संशोधित किया जाता है।"
Case : Kaushal Singh vs State of Rajasthan

