सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल के खिलाफ हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाया
Shahadat
1 May 2025 2:31 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाया, जिसमें एक विचाराधीन कैदी की जमानत याचिका के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि एएजी के खिलाफ हाईकोर्ट की टिप्पणियां "पूरी तरह से अनुचित" थीं।
खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को याचिकाकर्ता की मृत्यु के समय जमानत याचिका को निरर्थक मानकर उसका निपटारा कर देना चाहिए था। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की मृत्यु के बावजूद हाईकोर्ट द्वारा लंबा आदेश पारित करने पर आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
"इन परिस्थितियों में न उक्त तथ्य को दर्ज करके मामले का निपटारा कर सकता था। हालांकि, हाईकोर्ट ने लगभग 26 पैराग्राफ का एक लंबा आदेश पारित किया है। उक्त आदेश में इस तथ्य को दर्ज करने के अलावा कि उक्त मामले में याचिकाकर्ता की मृत्यु हो चुकी है। फिर भी राज्य के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की हैं, जिनका प्रतिनिधित्व एडिशनल एडवोकेट जनरल द्वारा किया गया। हम पाते हैं कि उक्त टिप्पणियां जो आलोचना की सीमा पर हैं, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए पूरी तरह से अनुचित थीं।"
हाईकोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल के खिलाफ नियमित जमानत आवेदन में अपनी टिप्पणियां करते हुए कहा कि कुछ गलत और भ्रामक प्रस्तुतियां दी गई थीं।
हाईकोर्ट की टिप्पणियों को चुनौती देते हुए हरियाणा राज्य ने विशेष अनुमति याचिका दायर की। मृतक जमानत आवेदक के कानूनी प्रतिनिधियों ने राज्य की याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि भ्रामक प्रस्तुतियों के कारण, उचित समय पर राहत देने से इनकार कर दिया गया और आवेदक की चिकित्सा कारणों से मृत्यु हो गई।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि आवेदक को चंडीगढ़ के PGIMER में मेडिकल उपचार दिया गया था। कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया और एएजी के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटा दिया। इससे पहले, फरवरी में कोर्ट ने हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगा दी थी।
केस टाइटल: हरियाणा राज्य बनाम सुभाष चंद्र दत्त (मृत) से लेकर इंद्रा दत्त तक | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 2182/2025