सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अधिकारियों द्वारा आरोपी को 55 तारीखों पर कोर्ट में पेश न करने पर हैरानी जताई, जांच के आदेश दिए
Shahadat
3 Dec 2025 1:45 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र जेल अधिकारियों की आलोचना की कि वे ज़्यादातर सुनवाई की तारीखों पर अंडरट्रायल आरोपी को ट्रायल कोर्ट में बार-बार पेश करने में नाकाम रहे।
कोर्ट एक ऐसे मामले पर विचार कर रहा था, जिसमें चार साल से ज़्यादा समय से कस्टडी में बंद आरोपी को कुल 85 ट्रायल तारीखों में से 55 पर ट्रायल कोर्ट में पेश नहीं किया गया।
आरोपी को ज़मानत देते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने जेल अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता को कोर्ट में पेश न कर पाने पर हैरानी जताई और इसे बुनियादी सुरक्षा उपायों का गंभीर उल्लंघन बताया। बेंच ने महाराष्ट्र राज्य के जेल डिपार्टमेंट के नामित हेड को जांच करने और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आदेश दिया,
“हम महाराष्ट्र राज्य के जेल डायरेक्टर जनरल या जो भी जेल डिपार्टमेंट का हेड है, उसे इस मामले की पर्सनल जांच करने और ज़िम्मेदारी तय करने और संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। यह साफ़ किया जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को बचाने या बचाने की कोई कोशिश की जाती है तो जेल डायरेक्टर जनरल/जेल डिपार्टमेंट का हेड, जिसे हम जांच सौंप रहे हैं, इसके लिए पर्सनली ज़िम्मेदार होगा।”
कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की तारीखों पर अंडरट्रायल कैदी को पेश न करने से उसके अधिकारों, खासकर जेल के अंदर होने वाले गलत कामों की रिपोर्ट करने के उसके अधिकार पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
कोर्ट ने कहा,
“हम राज्य अधिकारियों के व्यवहार से हैरान हैं। किसी आरोपी को कोर्ट के सामने पेश करना न सिर्फ़ तेज़ी से ट्रायल पक्का करने के लिए है, बल्कि इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि यह एक सुरक्षा के तौर पर हो ताकि कैदी के साथ कोई और बुरा बर्ताव न हो, और वह सीधे कोर्ट के संपर्क में आए ताकि अधिकारियों के ख़िलाफ़ अपनी कोई शिकायत बता सके। हमें लगता है कि इस तरह के बुनियादी सुरक्षा उपायों का गंभीर उल्लंघन हुआ है, जो बहुत बुरा और चौंकाने वाला है। हम इसकी निंदा करते हैं।”
इसके अलावा, कोर्ट ने अथॉरिटी को दो महीने के अंदर ऊपर बताए गए अधिकारी द्वारा खुद कन्फर्म किया गया एफिडेविट फाइल करके इस बारे में कम्प्लायंस की रिपोर्ट करने का आदेश दिया। साथ ही मामले को 03.02.2026 को डायरेक्टर जनरल ऑफ़ प्रिज़न्स/हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रिज़न्स की पर्सनल रिपोर्ट पर विचार करने के लिए लिस्ट करने का निर्देश दिया।
Cause Title: SHASHI ALIAS SHAHI CHIKNA VIVEKANAND JURMANI VERSUS STATE OF MAHARASHTRA

