धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को इन कारणों से अपने पास ट्रांसफर नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
17 April 2025 3:14 PM

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (17 अप्रैल) को विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित उन याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करने से इनकार किया, जिनमें धार्मिक धर्मांतरण के खिलाफ राज्य के कानूनों को चुनौती दी गई है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ जमीयत उलेमा-ए-हिंद गुजरात द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट्स के समक्ष सभी याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग की गई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट एमआर शमशाद ने खंडपीठ को बताया कि इन हाईकोर्ट्स के समक्ष लगभग 21 ऐसी याचिकाएं लंबित हैं।
हालांकि, सीजेआई ने 21 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में मामले को विचार के लिए फिर से सूचीबद्ध किया था। उस वक्त उन्होंने मौखिक रूप से यह भी कहा था कि चूंकि ये कानून विभिन्न राज्यों द्वारा पारित किए गए, इसलिए उनके प्रावधान और शब्दावली अलग-अलग हो सकती है। इसलिए उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करना उचित नहीं होगा।
उन्होंने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा था:
"इसके कई परिणाम हैं; धाराओं की भाषाएं अलग-अलग हैं और सुप्रीम कोर्ट में उन सभी से निपटना बहुत मुश्किल हो सकता है।"
चीफ जस्टिस ने पूछा था,
"विभिन्न अधिनियमों, विभिन्न भाषाओं, विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी जाएगी। यह कोई केंद्रीय अधिनियम नहीं है, यह राज्य अधिनियम है... तो इसे यहां यानी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने क्या मतलब?"
इस पर याचिकाकर्ता ने उत्तर देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही रिट याचिकाएं हैं, जिनमें इन कानूनों को चुनौती दी गई है।
न्यायालय के समक्ष लंबित मुख्य याचिका मानवाधिकार संगठन-सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर की गई, जिसने अन्य धर्मों में अवैध धर्मांतरण को दंडित करने वाले विभिन्न राज्य कानूनों की वैधता को चुनौती दी।
बाद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दायर की थी। उस याचिका में विभिन्न राज्यों द्वारा बनाए गए धार्मिक धर्मांतरण से संबंधित कानूनों को चुनौती देने वाले 6 हाईकोर्ट्स में लंबित 21 मामलों को इसमें ट्रांसफर करने की मांग की गई।
गुजरात और मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट्स ने संबंधित कानूनों के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी। गुजरात और मध्य प्रदेश राज्यों ने उक्त अंतरिम आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
केस टाइटल: जमीयत उलमा-ए-हिंद गुजरात और अन्य बनाम गुजरात राज्य | डायरी नंबर - 3670/2023