सुप्रीम कोर्ट ने यूपी बार काउंसिल के एनरॉलमेंट फीस को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा किया
Shahadat
13 Nov 2024 8:33 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बार काउंसिल (UP Bar Council) द्वारा लगाए गए एनरॉलमेंट फीस (Enrolment Fees) को चुनौती देने वाली लॉ ग्रेजुएट द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया। कोर्ट ने उक्त फैसला 30 जुलाई, 2024 के अपने फैसले के आलोक में किया, जिसमें यह देखा गया कि एडवोकेट एक्ट, 1961 में निर्दिष्ट सामान्य श्रेणी के वकीलों के लिए नामांकन फीस 750 रुपये और SC/ST श्रेणियों के वकीलों के लिए 125 रुपये से अधिक नहीं हो सकता।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने 2 फरवरी को इस रिट याचिका में नोटिस जारी किया था, जिसमें राज्य बार काउंसिल द्वारा व्यक्तिगत रूप से पेश होने वाले याचिकाकर्ता को यूपी बार में नामांकित होने वाले वकीलों के लिए 16,665 रुपये का भुगतान करना था। एक ही दिन में प्रक्रिया में तेजी लाने के इच्छुक लोगों से 5000 रुपये की अतिरिक्त राशि ली जाएगी। याचिकाकर्ता ने इस शुल्क को "अत्यधिक" बताते हुए चुनौती दी।
गौरव कुमार बनाम भारत संघ (2024) में न्यायालय ने माना कि राज्य बार काउंसिल द्वारा लिया जाने वाला अत्यधिक एनरॉलमेंट फीस एक महत्वाकांक्षी वकील के पेशे और सम्मान को चुनने के अधिकार का उल्लंघन करता है। हाशिए के वर्गों के वकीलों को भारी एनरॉलमेंट फीस का भुगतान करने के लिए मजबूर करना समानता के सिद्धांतों के मूल पर प्रहार करता है।
यह माना गया:
"इस प्रकार, एनरॉलमेंट के समय उम्मीदवार से एकत्र किए गए सभी विविध भुगतान अनिवार्य रूप से नामांकन की प्रक्रिया के लिए पूर्व शर्त के रूप में कार्य करते हैं। धारा 24 (1) विशेष रूप से उन पूर्व शर्तों को निर्धारित करती है जिनके अधीन वकील को राज्य रोल पर नामांकित किया जा सकता है। चूंकि धारा 24 (1) (एफ) SBC द्वारा एनरॉलमेंट फीस के रूप में ली जाने वाली राशि को निर्दिष्ट करती है, इसलिए SBC और BCI नामांकन के लिए पूर्व शर्त के रूप में निर्धारित एनरॉलमेंट फीस के अलावा अन्य शुल्क का भुगतान नहीं मांग सकते हैं।"
इस पर विचार करते हुए जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने वर्तमान याचिका का निपटारा किया।
केस टाइटल: कुलदीप मिश्रा बनाम बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 24/2024