पासपोर्ट मामले में दर्ज FIR रद्द करने की मांग वाली अब्दुल्ला आज़म की याचिका खारिज

Shahadat

6 Nov 2025 12:28 PM IST

  • पासपोर्ट मामले में दर्ज FIR रद्द करने की मांग वाली अब्दुल्ला आज़म की याचिका खारिज

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म खान की याचिका खारिज की, जिसमें पासपोर्ट हासिल करने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, हम यह स्पष्ट करते हैं कि ट्रायल कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित हुए बिना सभी मुद्दों पर फैसला करने के लिए स्वतंत्र है।"

    जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिसमें मुकदमा खत्म होने के बाद FIR रद्द करने से इनकार किया गया।

    जस्टिस सुंदरेश ने कहा,

    "ट्रायल कोर्ट पर भरोसा रखें। ट्रायल कोर्ट में ही फैसला होने दें। जब मुकदमा पहले ही खत्म हो चुका है, तो अब हम हस्तक्षेप क्यों करें?"

    यह मामला रामपुर ज़िले के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR से संबंधित है, जिसमें अब्दुल्ला आज़म खान पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत रामपुर के विशेष सांसद/विधायक न्यायाधीश के समक्ष मुकदमा चल रहा है।

    FIR के अनुसार, अब्दुल्ला आज़म खान ने पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 बताई गई, जबकि उनके स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार उनकी वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी, 1993 है। इस मामले में 9 सितंबर, 2021 को आरोप तय किए गए।

    अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म खान और उनके पिता आज़म खान द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका खारिज किया, जिसमें विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने हेतु पैन कार्ड प्राप्त करने हेतु जाली जन्म प्रमाण पत्र के कथित उपयोग से संबंधिक अन्य मामले को रद्द करने की मांग की गई।

    उस याचिका को भी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि उस मामले में मुकदमा समाप्त हो चुका है। उसने ट्रायल कोर्ट को आठ हफ़्तों के भीतर फ़ैसला सुनाने का निर्देश दिया और स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट की टिप्पणियों का अंतिम फ़ैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

    इससे पहले, जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर निर्देश दिया कि दोनों मामलों में मुक़दमा जारी रह सकता है, लेकिन अंतिम फ़ैसला नहीं सुनाया जाना चाहिए।

    हाईकोर्ट ने कार्यवाही रद्द करने से इनकार किया था और कहा था कि ये दलीलें सुनवाई योग्य नहीं हैं। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 20(2) और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 300 के तहत दोहरे ख़तरे का सिद्धांत लागू नहीं होता।

    हाईकोर्ट ने कहा था कि हालांकि पैन कार्ड और पासपोर्ट दोनों हासिल करने के लिए एक ही जाली जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया गया लेकिन इस्तेमाल का हर कृत्य एक अलग अपराध है। उसने यह भी कहा कि अभियुक्तों ने अपनी अर्ज़ी दाखिल करने में देरी की थी और तथ्यों की जानकारी होने के बावजूद पहले दोहरे ख़तरे की दलील नहीं दी थी।

    Case Title – Mohammad Abdullah Azam Khan v. State Of U.P.

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