सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भर्तियों में विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आयु-छूट देने से किया इनकार
Shahadat
23 Sept 2025 7:18 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 32 के तहत पनुन कश्मीर ट्रस्ट द्वारा दायर रिट याचिका खारिज की, जिसमें कश्मीरी दंगों के पीड़ितों को 1984 के सिख विरोधी दंगों और 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के समान केंद्र सरकार की नौकरियों के ग्रुप डी और सी में भर्ती में आयु में छूट का लाभ देने की मांग की गई थी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने रिट याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मामलों का निर्णय नीति निर्माताओं को करना होता है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से जब एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सुदर्शन राजन ने अपनी दलीलें शुरू कीं तो शुरुआत में ही जस्टिस नाथ ने मौखिक रूप से कहा:
"क्या यह अनुच्छेद 32 के दायरे में आता है? क्या इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट को करना है? ये नीतिगत निर्णय सरकार को लेने हैं।"
पनुन कश्मीर ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिका के अनुसार, 1980 के दशक में घाटी में हुए दंगों के बाद पीड़ितों को अपने पैतृक घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा था। याचिका में दावा किया गया कि कश्मीरी हिंदुओं को आयु सीमा में छूट के लाभों से "जानबूझकर वंचित" रखने से उनके साथ भेदभाव हुआ।
Case Details: PANUN KASHMIR TRUST Vs UNION OF INDIA|W.P.(C) No. 881/2025

