आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने की मांग वाली जयललिता की भतीजी की याचिका खारिज की

Shahadat

14 Feb 2025 1:28 PM

  • आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने की मांग वाली जयललिता की भतीजी की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की भतीजी जे. दीपा की याचिका खारिज की। दीपा ने जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने की मांग की थी।

    जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें जयललिता की संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों को देने से इनकार किया गया।

    याचिकाकर्ता की दलील थी कि चूंकि दिसंबर, 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ आपराधिक मामला समाप्त हो गया, इसलिए कार्यवाही के दौरान जब्त की गई उनकी संपत्ति को वापस किया जाना चाहिए। सितंबर, 2014 में ट्रायल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जयललिता को दोषी ठहराया था और उन्हें चार साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ा।

    2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनकी सजा खारिज की और उन्हें बरी कर दिया। हालांकि, हाईकोर्ट के बरी होने के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी, दिसंबर, 2015 में AIADMK सुप्रीमो का निधन हो गया। फरवरी, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज किया कि जयललिता के खिलाफ अपील खारिज हो गई और अन्य आरोपियों की सजा बहाल कर दी गई।

    जे. दीपा ने याचिका में तर्क दिया,

    "इसलिए डॉ. जे. जयललिता के संबंध में, जिन्हें ए 1 के रूप में वर्गीकृत किया गया, आपराधिक अपील समाप्त हो गई। एस.पी.एल. सी.सी. नंबर 208/2004 में कुर्क की गई संपत्ति जब्त करने के लिए स्पेशल कोर्ट का निर्देश केवल ए 2 से ए 4 तक सीमित है और यह डॉ. जे. जयललिता पर लागू नहीं होता।"

    उन्होंने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें और उनके भाई को जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी और उन्हें उनकी चाची की संपत्तियों के संबंध में प्रशासन के पत्र प्रदान किए।

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने जे. दीपा की अपील को यह कहते हुए खारिज की कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्ज किया गया स्पष्ट निष्कर्ष है कि जब्ती के आदेश और अन्य निर्देशों का मृतक ए1 (जयललिता) के एल.आर. (कानूनी प्रतिनिधि) सहित सभी संबंधितों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।

    हाईकोर्ट ने टिप्पणी की,

    "सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पैरा नंबर 536 में घटित घटनाक्रम अर्थात ए1 की मृत्यु को ध्यान में रखते हुए यह अवलोकन करने में पर्याप्त सावधानी बरती कि ए1 के संबंध में आपराधिक कार्यवाही को अनिवार्य रूप से समाप्त किया जा सकता है। आदेश के पैरा 536 और पैरा 542 में उक्त पहलू पर विचार करने के बावजूद, यह विशेष रूप से माना गया कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को परिणामी निर्देशों सहित पूर्ण रूप से बहाल किया जाता है।"

    केस टाइटल : जे दीपा बनाम पुलिस अधीक्षक | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 2208/2025

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