सुप्रीम कोर्ट ने केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटें बढ़ाने के केंद्र के 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Shahadat

19 April 2023 4:33 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटें बढ़ाने के केंद्र के 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शैक्षणिक वर्ष 2018-2019 के लिए रेगुलर कोर्स (ब्रॉड स्पेशियलिटी) में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) सीटों में एक बार वृद्धि करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जो केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संशोधित शिक्षक अनुपात के तहत है, न कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में।

    जस्टिस बीआर बावई और जस्टिस विक्रमनाथ की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा,

    "ऐसी बात [केंद्र का फैसला] पहली बार आ रहा है! जब भी मामले मेरे सामने (हाईकोर्ट में) सूचीबद्ध किए गए थे, वे प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के पक्ष में थे और न्यायिक आदेशों से हमें प्राइवेट कॉलेजों में सीटें बढ़ानी पड़ीं। ...सौभाग्य से उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।"

    याचिकाकर्ता एडवोकेट ने कहा कि अधिकारी केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों के पक्ष में नीतियां बनाते रहेंगे।

    खंडपीठ ने टिप्पणी की,

    "उन्हें करने दीजिए। हमें खुशी है कि कई बार वे प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का पक्ष लेने के बजाय सरकारी मेडिकल कॉलेजों के पक्ष में हैं। और आप जानते हैं कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के पक्षधर क्यों हैं, हमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है।"

    याचिका के मुताबिक अंडर ग्रेजुएट और ब्रॉड स्पेशियलिटी पोस्टग्रेजुएट कोर्स चलाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, बेड स्ट्रेंथ, क्लिनिकल मटीरियल, फैकल्टी नंबर की जरूरत को लेकर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और सरकारी मेडिकल कॉलेज एक ही हैं।

    जहां तक प्राइवेट कॉलेजों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों का संबंध है, एमसीआई विनियम, 1999 के तहत कोई अंतर नहीं है। विनियम समान रूप से सभी कॉलेजों पर लागू होते हैं चाहे वे सरकारी कॉलेज हों या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज।

    यह कहा गया,

    "इसलिए यदि उक्त कॉलेजों पर लागू होने वाले नियम समान हैं, यदि बुनियादी ढांचे आदि की आवश्यकता समान है तो भारत संघ या इंडिया मेडिकल काउंसिल (अब नेशनल मेडिकल कमिशन) सभी कॉलेजों के साथ समान व्यवहार करने के लिए बाध्य है और उस कॉलेज के उपलब्ध बुनियादी ढांचे के अनुसार प्रवेश क्षमता देने के लिए बाध्य हैं।"

    याचिका एओआर सुधांशु चौधरी के माध्यम से दायर की गई।

    केस टाइटल: मायर्स महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च बनाम भारत संघ | रिट याचिका (सी) 50/2018

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