NLUJ में 25% डोमिसाइल आरक्षण के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
Shahadat
18 Sept 2025 1:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर (NLUJ) में 25% अधिवास-आधारित आरक्षण बरकरार रखने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज की।
जस्टिस पमिदिघंतम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने कहा,
"हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए इस आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।"
हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका NLUJ की कार्यकारी परिषद द्वारा 2022 में पारित उस प्रस्ताव के खिलाफ थी, जिसमें राजस्थान के स्टूडेंट्स के लिए अधिवास-आधारित आरक्षण की शुरुआत की गई थी। इसमें तर्क दिया गया कि यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है।
हाईकोर्ट ने NLUJ में 25% अधिवास-आधारित आरक्षण की संवैधानिक वैधता बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया कि यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता, क्योंकि यह वर्गीकरण उचित, गैर-मनमाना है और क्षेत्रीय शैक्षिक विकास को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से तर्कसंगत संबंध रखता है।
जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने कहा कि कई अन्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने पहले ही अधिवास-आधारित आरक्षण लागू कर दिया है। इसके अलावा, राजस्थान राज्य, NLUJ की स्थापना और वित्त पोषण प्राधिकरण होने के नाते राज्य के अधिवासित छात्रों के लिए कानूनी शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए अधिसूचना जारी की थी।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि इस तरह के आरक्षण का कोई वैधानिक आधार नहीं है। इसने माना कि नीति, अनुच्छेद 14 के तहत अनुमेय वर्गीकरण के लिए अपेक्षित, सुबोध विभेद और वांछित उद्देश्य के साथ तर्कसंगत संबंध के दोहरे परीक्षण को पूरा करती है।
हाईकोर्ट ने डॉ. प्रदीप जैन बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य द्वारा स्थापित और अनुरक्षित उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन में अधिवास-आधारित वरीयता की अनुमति को मान्यता दी गई।
Case Title – Anindita Biswas v. National Law University, Jodhpur & Ors.

