सुप्रीम कोर्ट ने एलएलएम योग्यता वाले जिला न्यायाधीश की तीन अग्रिम वेतन वृद्धि की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

10 April 2022 3:45 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट के एक फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसमें एलएलएम योग्यता वाले जिला न्यायाधीशों को तीन अग्रिम वेतन वृद्धि देने की याचिका खारिज कर दी गई थी।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने हाईकोर्ट के 6 दिसंबर, 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड में जिला न्यायाधीश द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। इसमें एलएलएम की डिग्री रखने के लिए तीन अग्रिम वेतन वृद्धि के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

    हाईकोर्ट ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुलर में केवल एलएलएम डिग्री वाले सिविल जजों (जूनियर डिवीजन) को तीन अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने सर्कुलर को चुनौती नहीं दी है, इसलिए उसे लाभ नहीं दिया जा सकता।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवयानी गुप्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने इस आधार पर याचिका को खारिज करके "हाइपरटेक्निकल दृष्टिकोण" अपनाया कि सर्कुलर पर सवाल नहीं उठाया गया। वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता एलएलएम योग्यता वाले जिला न्यायाधीशों को अग्रिम वेतन वृद्धि देने के संबंध में न्यायमूर्ति शेट्टी आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहा है।

    लेकिन पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुलर ने इसे केवल सिविल जजों (जूनियर डिवीजन) पर लागू किया।

    वकील ने प्रस्तुत किया,

    "सर्कुलर केवल निचली न्यायपालिका के लिए है और मैं एक जिला न्यायाधीश हूं। इस अदालत के फैसले (2002)4 एससीसी 247 में बताया गया कि शेट्टी आयोग को अपनाने वाले सभी न्यायिक अधिकारियों को यह लाभ दिया जाना चाहिए, इसलिए एलएलएम योग्यता वाले न्यायिक अधिकारियों को चाहिए तीन अग्रिम वेतन वृद्धि दी जाए।"

    जस्टिस राव ने कहा,

    "लेकिन अगर सर्कुलर इसे सिविल जज जूनियर डिवीजन तक सीमित रखता है .... यह 2016 का सर्कुलर है.. आपको इसे चुनौती देनी चाहिए ... जब तक सर्कुलर है.. आप यह नहीं कह सकते कि हाईकोर्ट हाइपरटेक्निकल है।"

    वकील ने कहा,

    "हाईकोर्ट राहतों को ढाल सकता है। मैं शेट्टी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे लिए भी इसी तरह का सर्कुलर जारी किया जाए, यह कम शामिल करने का मामला है।"

    इस बिंदु पर पीठ ने शेट्टी आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि यह केवल राज्य को सिफारिश की गई थी।

    जस्टिस राव ने कहा,

    "देखिए, शेट्टी आयोग केवल यही कहता है कि ऐसे अधिकारियों को पुरस्कृत करना बेहतर है। राज्यों की ओर से कोई दायित्व नहीं है। यदि राज्य ने केवल सिविल जज जूनियर डिवीजन तक ही सीमित रखा है तो आपको इसे यह कहते हुए चुनौती देनी चाहिए कि भेदभाव है। यह केवल एक सिफारिश है। यह सरकार को लागू करना है।"

    खंडपीठ ने विशेष अनुमति याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है।

    आदेश में कहा गया,

    "हम हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले और आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। विशेष अनुमति याचिका तदनुसार खारिज की जाती है।"

    केस शीर्षक : राजेंद्र कुमार जमनानी बनाम झारखंड राज्य और अन्य | एसएलपी (सी) संख्या 5992/2022

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