सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज आर्बिट्रेशन में विदेशी आर्बिट्रेटर के खिलाफ पूर्वाग्रह के आरोप वाली केंद्र की याचिका खारिज की

Shahadat

11 Jan 2023 9:45 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज आर्बिट्रेशन में विदेशी आर्बिट्रेटर के खिलाफ पूर्वाग्रह के आरोप वाली केंद्र की याचिका खारिज की

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार की वह अपील खारिज कर दी, जिसमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के खिलाफ रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपी एक्सप्लोरेशन और निको रिसोर्सेज द्वारा शुरू की गई आर्बिट्रेशन कार्यवाही को रोकने की मांग की गई थी। केजी-डी6 ब्लॉक में प्राकृतिक गैस की खोज से जुड़े $400 मिलियन की कोस्ट रिकवरी विवाद पर मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की गई।

    इससे पहले, केंद्र सरकार ने आर्बिट्रेशन की कार्यवाही को रोकने के लिए अनुरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, जब दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई।

    केंद्र की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एके गांगुली ने कहा कि कथित पक्षपात के कारण सरकार ने दो आर्बिट्रेटर माइकल डी किर्बी और बर्नार्ड रिक्स में "विश्वास खो दिया"। इस मामले में तीसरे मध्यस्थ भारत के पूर्व चीफ जस्टिस वीएन खरे हैं।

    उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट पूर्वाग्रह है और दो विदेशी आर्बिट्रेटर की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के बारे में उचित संदेह मौजूद है। उक्त पूर्वाग्रह को साबित करने के लिए सीनियर एडवोकेट गांगुली ने आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित विभिन्न प्रक्रियात्मक आदेशों को इंगित किया और कहा कि कोई भी मध्यस्थ स्वयं के खिलाफ आरोपों का निर्णय नहीं कर सकता और यह केवल अदालत द्वारा ही किया जा सकता।

    सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे प्रतिवादी रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए पेश हुए। उन्होंने ने कहा कि सीनियर एडवोकेट गांगुली द्वारा उठाया गया तर्क इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन को रोकने के लिए सरकार द्वारा "देरी की रणनीति" के अलावा और कुछ नहीं है।

    बेंच केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखी।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,

    "यह पूर्वाग्रह नहीं है, जब तक कि आप प्रेरित त्रुटि का कुछ तत्व न दिखाएं।"

    तदनुसार मामला खारिज कर दिया गया।

    इससे पहले सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन शुरू करने में अनावश्यक देरी हुई, भले ही दो विदेशी आर्बिट्रेटर भारत में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि पक्षपात के आधार पर आर्बिट्रेटर पैनल समाप्त करने की केंद्र की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया; अभी तक कार्यवाही इस आधार पर शुरू नहीं की गई कि केंद्र हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देना चाह रहा है।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने, जब सीनियर एडवोकेट एके गांगुली ने पूछा कि क्या "आसमान गिर जाएगा" यदि एसएलपी का फैसला होने तक कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है, कहा,

    "आसमान गिर जाएगा! एक ओर, हम चिल्ला रहे हैं कि हम विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, व्यापार को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। और क्या इस तरह का व्यापार अनुकूल वातावरण बनाना चाहते हैं, जो आप बनाना चाहते हैं? एक तीन सदस्यीय इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल प्रतीक्षा कर रहा है।"

    केस केस टाइटल : यूनियन ऑफ इंडिया बनाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड स्पेशल लीव पेटिशन (सिविल) डायरी नंबर .40985/2022

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