सुप्रीम कोर्ट ने एमनेस्टी के बैंक खातों के अनंतिम जब्ती आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज की, ईडी ने जारी किया था आदेश

Avanish Pathak

27 Oct 2022 5:47 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने याचिका में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उसके बैंक खातों को जब्त करने के आदेश को चुनौती दी थी। पीएमएलए एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने सात अक्टूबर, 2022 को एक अनंतिम जब्ती आदेश पारित किया था, जिसके बाद यह आदेश दिया गया था।

    अस्थायी जब्ती आदेश को चुनौती देने के एमनेस्टी के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए अदालत ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

    कोर्ट ने कहा,

    "हालांकि, हम याचिकाकर्ता के अधिकारों को कानून के अनुसार सात अक्टूबर 2022 के उक्त आदेश को चुनौती देने के लिए सुरक्षित रखते हैं और इस विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने को प्रतिद्वंद्वी विवादों के गुण या अवगुणों पर विचार के रूप में नहीं लिया जाएगा।"

    एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के आदेश के अनुसार संगठन के तीन बैंक खातों, जिनमें उपार्जित ब्याज समेत 1,54,03,992.30/- (रुपये एक करोड़ चौवन लाख तीन हजार नौ सौ निन्यानवे मात्र) की राशि थी, को पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत अनंतिम रूप से जब्‍त किया गया था।

    आदेश में जब्त राशि के ट्रांसफर, हटाने या खर्च करने पर रोक लगा दी गई है। जब्ती का यह आदेश 180 दिनों की अवधि के लिए प्रभावी होगा और इसे आगे जारी रखना प्राधिकरण द्वारा पारित पुष्टि आदेश के अधीन होगा।

    कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की इंडिया विंग ने विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

    हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 16 दिसंबर, 2020 को एमनेस्टी इंडिया को खर्चों को पूरा करने के लिए 60 लाख रुपये निकालने की अनुमति देकर आंशिक राहत दी थी।

    जब्‍ती आदेश के खिलाफ उठाए गए चुनौती के मूल बिंदुओं पर जाने से स‌िंगल बेंच के इनकार से व्यथित एमनेस्टी ने ‌डिवीजन बेंच के समक्ष अपील की थी। 8 अप्रैल, 2021 को डिवीजन बेंच ने अपील का निपटारा करते हुए कहा कि अस्थायी जब्ती आदेश के खिलाफ चुनौती के आधार को पीएमएलए एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष उठाया जाए।

    एमनेस्टी इंडिया ने अपने बैंक खातों की जब्ती के बाद भारत में अपना परिचालन बंद कर दिया था।

    केस टाइटल: एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) 2541/2022

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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