सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को राज्य हज कमेटी के गठन पर उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया

Shahadat

13 Aug 2022 6:52 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को राज्य हज कमेटी के गठन पर उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 अगस्त) को राज्य सरकारों को हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या उनके संबंधित राज्यों में हज कमेटी गठित हैं। अदालत ने इसके साथ ही राज्यों को गठित हज कमेटी के सदस्यों के नामों सूची उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया।

    यह मामला हज समिति अधिनियम, 2002 की धारा 4 सपठित धारा 3 के तहत निर्धारित सेंट्रल हज कमेटी के गठन से संबंधित है।

    याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट संजय आर हेज ने मौखिक सुनवाई में प्रस्तुत किया कि कुछ राज्यों ने ही अपने-अपने राज्यों में हज कमेटी के गठन से संबंधित काउंटर हलफनामा प्रस्तुत किया, जबकि अन्य राज्यों ने अपना हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया।

    जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि इन कमेटियों का गठन करना राज्यों का वैधानिक दायित्व है।

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य कमेटियों के गठन के बाद केंद्रीय कमेटी का गठन किया जाना है।

    याचिका में तर्क दिया गया कि केंद्र और प्रतिवादी राज्य हज समिति अधिनियम, 2002 के सख्त प्रावधान का पालन करने में विफल रहे हैं। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि भारत में 2019 के बाद से परिचालन केंद्रीय हज कमेटी नहीं है। साथ ही अक्टूबर, 2021 तक 19 में से केवल 1 राज्यों में पूरी तरह से चालू राज्य हज कमेटी है, जबकि अन्य सभी राज्य कमेटी के गठन के लिए राज्य सरकार की कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उक्त राज्यों में तीन साल से अधिक समय से एक भी कमेटी नहीं बनी है।

    याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 8 पर भरोसा करते हुए तर्क दिया कि कानूनी की सख्ती के तहत पहले से नियुक्त कमेटियों का कार्यकाल बेशक बढ़ा दिया गया था। अधिनियम की धारा 8 मौजूदा समिति की समाप्ति से 4 महीने पहले नई कमेटी के गठन का प्रावधान करती है।

    याचिका के अनुसार, केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः केंद्र और राज्य स्तर पर कमेटी का गठन न किए जाने से हज 2022 के लिए 7 जुलाई, 2022 से निर्धारित किया गया योजना और समन्वय प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

    तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी राज्यों को हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या उनके संबंधित राज्यों में हज कमेटियां गठित हैं। इसके अलावा गठित कमेटियों के सदस्यों के नाम निर्दिष्ट करने के लिए भी कहा। इसकी जानकारी दो हफ्ते में कोर्ट को देनी होगी।

    केस टाइटल: हाफिज नौशाद अहमद आज़मी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स एंड अदर्स| डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 1229/2021

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