"एक सदी का एक चौथाई बीत चुका है " : सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल से लंबित बंटवारे के वाद के शीघ्र ट्रायल का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

5 Aug 2021 10:59 AM IST

  • एक सदी का एक चौथाई बीत चुका है  : सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल से लंबित बंटवारे के वाद के शीघ्र ट्रायल का निर्देश दिया

    एक सदी का एक चौथाई यह निर्धारित करने में बीत चुका है कि क्या लाइसेंसधारी अपने बेटे के कब्जे वाले हिस्से पर कब्जा लेने का हकदार है!" सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में एक अदालत को 26 सालों से लंबित एक बंटवारा मुकदमे के मुकदमे में तेज़ी लाने का निर्देश देते हुए कहा।

    एक मां ने अपने बेटे के खिलाफ कब्जे की डिक्री की मांग करते हुए वर्ष 1995 में स्मॉल कॉज कोर्ट, पुणे के समक्ष एक मुकदमा दायर किया था। उसी साल बेटे ने संपत्ति के बंटवारे का मुकदमा भी दायर किया। मां की मृत्यु के बाद, उसके दामाद ने दावा किया कि उसने एक अपंजीकृत वसीयत निष्पादित की थी और उसे ये विरासत में मिला है। बाद में, उन्हें 2007 में स्मॉल कॉज कोर्ट के समक्ष मुकदमे में वादी के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। वसीयत को लेकर ये विवाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

    न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा,

    "हम शायद ही ऐसी स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जहां 26 साल से पहले चरण में एक मुकदमा लंबित है, और हमें अपील और दूसरी अपील पर फैसला करना है।"

    अपील को खारिज करते हुए, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पिछले आदेश वाद संपत्ति के उत्तराधिकार के निष्कर्षों का निर्धारण नहीं करते हैं। पीठ ने कहा कि 1995 में दायर विभाजन के मुकदमे में टाइटल तय किया जाएगा।

    "हम सिविल जज, सीनियर डिवीजन, पुणे को 1995 के वाद नंबर 450 के मुकदमे में तेज़ी लाने का मौका देना भी उचित समझते हैं। हम शायद ही ऐसी स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जहां पहले चरण में 26 साल से एक मुकदमा लंबित है, और हमें अपील और उसके बाद आने वाली दूसरी अपील पर फैसला करना होगा। कहा गया है कि वसीयत उन कार्यवाही में दायर की गई है और इस प्रकार वसीयत की वैधता का अंतिम निर्धारण उन कार्यवाही में होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि मुकदमे की शीघ्र सुनवाई में पक्ष सहयोग करेंगे और ट्रायल कोर्ट इस आदेश के संचार की तारीख से अधिमानत: एक वर्ष की अवधि में उसके समक्ष रखे गए मुद्दों को शांत करने का प्रयास करेगा, " कोर्ट ने आदेश में कहा।

    केस: जिमी डोरा सुखिया बनाम रोशनी फारुख चिनॉय; सीए 2852/2021

    पीठ : जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता

    उद्धरण: LL 2021 SC 353

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story