सुप्रीम कोर्ट ने DDA वाइस-चेयरमैन को सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेशों का पालन न करने के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया

Shahadat

29 March 2025 7:36 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने DDA वाइस-चेयरमैन को सार्वजनिक भूमि पर अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेशों का पालन न करने के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के वाइस-चेयरमैन को निर्देश दिया कि वह ओखला, दिल्ली में सार्वजनिक भूमि पर कुछ अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने से संबंधित आदेशों का पालन न करने के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने वाइस-चेयरमैन को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 अप्रैल, 2025 को रखा।

    न्यायालय ने निर्देश दिया,

    “हम DDA के वाइस-चेयरमैन को निर्देश देते हैं कि वह अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें वह अपनी चूक के बारे में स्पष्टीकरण दें। समय-समय पर इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का पालन न करने के कारणों की व्याख्या करें। DDA का हलफनामा आज से तीन सप्ताह की अवधि के भीतर दाखिल किया जाएगा।”

    न्यायालय लंबे समय से चल रहे एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामले में 2018 के आदेश की अवमानना ​​का आरोप लगाने वाली अवमानना ​​याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें उसने अनधिकृत कॉलोनियों और सार्वजनिक भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण से निपटने के निर्देश जारी किए।

    2018 के आदेश में न्यायालय ने उल्लेख किया कि इस तरह की निर्माण गतिविधियां इसलिए हो रही हैं, क्योंकि भवन उपनियम और अन्य नियम इन अनधिकृत कॉलोनियों पर लागू नहीं होते। न्यायालय ने पाया कि इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जहां अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत कॉलोनियों की तुलना में अधिक अनुकूल माना जा रहा है, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार्य पाया।

    आगे अवैध निर्माण को रोकने के लिए न्यायालय ने सार्वजनिक भूमि सहित अनधिकृत कॉलोनियों में सभी निर्माण और निर्माण गतिविधियों को तत्काल रोकने का निर्देश दिया। आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि ऐसे क्षेत्रों में निर्माण कार्य अधिकृत कॉलोनियों पर लागू भवन मानदंडों और नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी नहीं रह सकता। इस निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों पर डाली गई। न्यायालय ने अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया।

    वर्तमान अवमानना ​​याचिका खसरा नंबर 279, ओखला गांव में अनधिकृत कब्जे के खिलाफ कार्रवाई में देरी का आरोप लगाते हुए दायर की गई।

    10 फरवरी, 2025 को न्यायालय ने पाया कि संबंधित क्षेत्र का सीमांकन पूरा हो चुका है। इसके बाद न्यायालय ने DDA को ध्वस्तीकरण आदेशों को लागू करने के लिए स्पष्ट योजना और समयसीमा प्रदान करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने DDA को यह भी बताने का निर्देश दिया कि क्या उसे इस प्रक्रिया के लिए अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों से सहायता की आवश्यकता है।

    DDA ने 15 मार्च, 2025 को हलफनामे में दावा किया कि वह संबंधित संरचनाओं के विध्वंस के साथ आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि संबंधित भूमि को सौंपा नहीं गया। न्यायालय से संबंधित भूमि में 3 बीघा 8 बिस्वा क्षेत्र के हस्तांतरण के लिए एलएसी/एलएंडबी विभाग को निर्देश देने की मांग की। हालांकि, न्यायालय ने पाया कि हलफनामा यह स्पष्ट करने में विफल रहा कि DDA के पास कब्जा न होने पर भी विध्वंस क्यों नहीं हो सकता।

    16 मई, 2024 को न्यायालय ने एक इमारत की अनधिकृत मंजिलों को गिराने के संबंध में पहले के आदेश का पालन न करने के लिए DDA के वाइस-चेयरमैन को नोटिस जारी किया और कहा कि आगे कोई कार्रवाई न करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

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