सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों/निर्णयों को संशोधित करने के लिए मौखिक उल्लेख करने की प्रथा की निंदा की
Shahadat
3 March 2025 9:06 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार की आड़ में आदेशों/निर्णयों को संशोधित करने के लिए मौखिक उल्लेख करने की प्रथा की निंदा की। कोर्ट ने सुपरटेह लिमिटेड बनाम एमराल्ड कोर्ट ओनर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में अपने फैसले का हवाला देते हुए याद दिलाया कि न्यायिक फैसले की पहचान इसकी "स्थिरता और अंतिमता" है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा,
"न्यायिक फैसले रेत के टीलों की तरह नहीं होते जो हवा और मौसम की अनिश्चितताओं के अधीन होते हैं।"
खंडपीठ ने ये टिप्पणियां ऐसे मामले में कीं, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आदेश की घोषणा के लगभग तीन साल बाद एक पक्ष द्वारा मौखिक उल्लेख किए जाने के बाद दूसरे पक्ष को नोटिस दिए बिना उसमें एक और पंक्ति जोड़ दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पीड़ित पक्ष की अपील में एकल पीठ द्वारा किए गए संशोधन को स्पष्ट किया। हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में टिप्पणी की,
"अपीलकर्ता की ओर से उक्त आदेश के तीन वर्ष पश्चात किसी भी आवेदन के अभाव में या प्रतिवादी(ओं) को तामील किए जाने के अभाव में "बातचीत के लिए" आदेश में संशोधन की मांग करना पूरी तरह अनुचित है। हम यह भी सोचते हैं कि एकल न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ता द्वारा एकतरफा रूप से की गई मौखिक प्रार्थना को स्वीकार करना और दिनांक 25.02.2013 के आदेश के 'पैराग्राफ 6' को दिनांक 19.01.2016 के आदेश के माध्यम से ऊपर निकाले गए अतिरिक्त वाक्य को जोड़कर संशोधित करना न्यायिक औचित्य के अनुरूप नहीं था।
न्यायालय ने कहा कि अपनाई गई उक्त प्रक्रिया कानून के अनुसार नहीं है और प्रक्रिया और व्यवहार का पूर्ण उल्लंघन है। साथ ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। न्यायालय ने कहा कि हम पुनर्विचार की आड़ में आदेशों/निर्णयों में संशोधन के लिए मौखिक उल्लेख करने की ऐसी प्रथाओं की निंदा करते हैं। पुनर्विचार दायर करने की कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अपीलकर्ता द्वारा अपनाई गई प्रथा की कड़ी निंदा करते हुए न्यायालय ने प्रतिवादियों को भुगतान करने के लिए उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और हाईकोर्ट के आदेशों को रद्द कर दिया।
केस टाइटल: सीएस उमेश बनाम टीवी गंगाराजू और अन्य

