दिल्ली में कक्षा 5 तक स्कूल बंद रखने के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार, मामला CAQM पर छोड़ा
Praveen Mishra
17 Dec 2025 4:16 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार के उस आदेश को चुनौती देने वाली अर्जियों पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में अत्यधिक खराब वायु गुणवत्ता के कारण 15 दिसंबर से कक्षा 5 तक की शारीरिक (फिजिकल) कक्षाएं निलंबित की गई थीं।
चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की खंडपीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि स्कूलों को बंद करने का निर्णय अस्थायी है और अगले सप्ताह से शीतकालीन अवकाश भी शुरू होने वाला है। हालांकि, कोर्ट ने इस मुद्दे को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के विचारार्थ खुला छोड़ दिया है।
सीनियर मेणका गुरुस्वामी ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि स्कूलों को बंद करने से गरीब वर्ग के बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे मिड-डे मील से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि स्कूली बच्चे प्रदूषण के लिए कैसे जिम्मेदार हैं। गुरुस्वामी ने कहा कि वह ऐसे गरीब अभिभावकों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं जो प्रदूषण के बावजूद बाहर काम करने को मजबूर हैं, जैसे सड़क पर वाहन पार्क करना या अन्य बाहरी कार्य। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या बच्चों के घरों के भीतर की हवा कक्षाओं से बेहतर है। साथ ही, उन्होंने यह इंगित किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह संकेत दे चुका है कि अभिभावकों के लिए हाइब्रिड विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उनके अनुसार, वर्तमान व्यवस्था का लाभ केवल वे अभिभावक उठा पा रहे हैं जो बच्चों को घर पर रखने में सक्षम हैं।
सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस ने टिप्पणी की कि अदालतें “सुपर विशेषज्ञ” बनकर विशेषज्ञों द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा नहीं कर सकतीं। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों का बंद होना केवल कुछ दिनों के लिए है, क्योंकि वैसे भी अगले सप्ताह से शीतकालीन अवकाश शुरू हो रहा है।
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने उन अभिभावकों की ओर से पक्ष रखा, जो हाइब्रिड शिक्षा व्यवस्था की मांग कर रहे थे। इस पर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि इससे भेदभाव की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि जिनके पास डिजिटल साधन हैं वे सुरक्षित रहेंगे, जबकि जिनके पास ये साधन नहीं हैं वे जोखिम में पड़ेंगे। लूथरा ने यह भी कहा कि प्रदूषण के कारण लोग पहले से ही दोपहर से पहले घर से निकलने से बचते हैं, जबकि स्कूली बच्चों को सुबह-सुबह घर से निकलना पड़ता है।
मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अपाराजिता सिंह ने खंडपीठ को बताया कि GRAP-IV उपायों के तहत हाइब्रिड कक्षाओं की परिकल्पना की गई है, लेकिन दिल्ली सरकार ने इससे आगे बढ़कर कक्षा 5 तक की कक्षाओं को पूरी तरह निलंबित कर दिया। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड शिक्षा का उद्देश्य संतुलन बनाए रखना था।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश एडिसनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि 15 दिसंबर को शहर में घनी स्मॉग की परत छा जाने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे यातायात में भी कुछ हद तक राहत मिलेगी। इस पर गुरुस्वामी ने जवाब दिया कि गरीब बच्चे प्रदूषण में योगदान नहीं करते, क्योंकि वे अधिकतर पैदल स्कूल जाते हैं।
एमिकस क्यूरी ने यह भी बताया कि पूर्व में जब इस प्रकार की अर्जियां दायर की गई थीं, तो उन्हें CAQM के पास विचार के लिए भेजा गया था।
हालांकि, पीठ ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए अपने आदेश में कहा,
“हमने स्कूल बंद करने और ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के संबंध में मांगी गई दिशा-निर्देशों पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी हैं। हमें बताया गया है कि नर्सरी से कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए स्कूल अस्थायी रूप से बंद किए गए हैं और शीघ्र ही शीतकालीन अवकाश भी शुरू होने वाला है। अतः इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।”

