सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने बार की शिकायतें उठाने के लिए राजपथ पर कैंडल मार्च निकालने का संकल्प लिया

LiveLaw News Network

8 Jan 2022 1:42 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने बार की शिकायतें उठाने के लिए राजपथ पर कैंडल मार्च निकालने का संकल्प लिया

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने बार के कई लंबित मुद्दों पर विचार न करने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखने के एक दिन बाद बार की शिकायतों को उठाने के लिए राजपथ पर कैंडल मार्च निकालने का संकल्प लिया है।

    एससीबीए कार्यकारी समिति ने 07.01.2022 को आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से बार प्रेसिडेंट द्वारा तय किए जाने वाले समय और तारीख पर, जब डीडीएमए दिशानिर्देशों के अनुसार बड़ी संख्या में अधिवक्ता भाग ले सकें, इंडिया गेट से शुरू होने वाला कैंडल मार्च आयोजित करने का संकल्प लिया।

    निम्नलिखित शिकायतों को उठाने के लिए कैंडल मार्च निकाला जाएगा

    1. वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के दौरान कोर्ट स्टाफ द्वारा म्यूट और अन-म्यूट किया जा रहा है, जबकि यह संविधान के अनुच्छेद 145 में अनिवार्य ओपन कोर्ट सुनवाई की अवधारणा के खिलाफ है।

    2. बिना किसी भेदभाव के आधार पर फाइल करने की तिथि के अनुसार मामले सूचीबद्ध नहीं किए जा रहे।

    3. चैंबर्स के आवंटन (allotment of chambers) के लिए वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप देने में विलम्ब जिसके परिणामस्वरूप पिछले 3 वर्षों से चैंबर्स के आवंटन में विलम्ब हुआ है, जबकि यह पिछले 3 वर्षों से तैयार है।

    4. विभिन्न हाईकोर्ट में पदोन्नति के लिए एससीबीए सदस्यों के नाम पर विचार न करना।

    5. आईटीओ के पास पेट्रोल पंप के पीछे की जमीन पर नए एडवोकेट चैंबर्स के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

    6. सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को ऑडिटोरियम तक पहुंच नहीं देना और सुप्रीम कोर्ट की इमारत में अतिरिक्त जगह न देना, जबकि सुप्रीम कोर्ट के वकील संस्था में समान हितधारक हैं और इसके अलावा उक्त स्थान एससीबीए के कहने पर अप्पू घर में सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर बार के कई लंबित मुद्दों पर विचार न करने पर नाराजगी व्यक्त की थी।

    एससीबीए के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को संबोधित अपने पत्र में अनुरोध किया कि मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एससीबीए की कार्यकारी समिति को तत्काल सुनवाई की अनुमति दी जाए और जल्द से जल्द आवश्यक कार्यवाही की जाए।

    पत्र में कहा गया, "अब हम महसूस कर रहे हैं कि एससीबीए ने चूंकि अपने इतिहास में कभी भी हड़ताल का सहारा नहीं लिया, उसे उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है।"

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