सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस से कथित घृणा अपराध से संबंधित एक मामले के रिकॉर्ड पेश करने को कहा

Avanish Pathak

15 Jan 2023 10:24 AM GMT

  • Supreme Court

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    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हेट स्पीच पर रोक लगाने के लिए दायर की गईं याचिकाओं पर सुनवाई की। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई लगभग दो घंटे चली।

    प्रमुख याचिकाएं इस प्रकार हैं-

    -सुदर्शन न्यूज टीवी पर प्रासरित 'यूपीएससी जिहाद' अभियान के खिलाफ दायर याचिकाएं।

    -तब्लीगी जमात के मुद्दे के मद्देनजर 'कोरोना जिहाद' अभियान के खिलाफ दायर याचिकाएं, -धर्मसंसद, जहां कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी बयान दिए गए थे, के खिलाफ दायर याचिकाएं

    -और हेट स्पीच पर रोक लगाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिकाएं।

    सुनवाई के दरमियान सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने खंडपीठ को उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति की ओर से दर्ज शिकायत के बारे में जानकारी दी कि उस पर धर्म के आधार पर हमला किया गया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

    उन्होंने बताया,

    "सज्जन एक मुसलमान थे, उन्होंने दाढ़ी रखी हुई थी और एक टोपी पहने थे। 4 जुलाई (2021) को वह नोएडा से अपने घर जा रहे थे। कुछ लोगों ने रास्ते में उनके धर्म के बारे में कई बातें कही, उन्हें पीटा और उनके पैसे चुरा लिए। जब वह वारदात की जानकारी देने के लिए पुलिस स्टेशन गए तो उन्हें दर दर भटकना पड़ा। पुलिस ने जांच के बाद कहा कि यह हेट क्राइम का नहीं बल्‍कि चोरी का मामला था।"

    सीनियर एडवोकेट ने कहा, "आप (राज्य) पीड़ित को क्या संदेश दे रहे हैं? मैं खुद से पूछती हूं। यह आदमी झूठी शिकायत क्यों दर्ज करना चाहता है?"

    उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता और सीनियर एडवोकेट गरिमा प्रसाद ने कहा, "यह खुद मीडिया की ओर से लगाया गया आरोप और मामला है"!

    उन्होंने कहा कि जांच करने पर यह पाया गया कि मामले में धर्म के आधार पर कोई गाली-गलौज या मारपीट नहीं की गई थी। इसके बाद बेंच ने एएजी से कुछ सवाल पूछे।

    "पुलिस इस नतीजे पर कैसे पहुंची कि यह चोरी का मामला है? क्या गवाह थे? क्या आपके पास केस डायरी है?"

    जवाब में बताया गया, "हमने सब कुछ सत्यापित कर लिया है। हमने एक बहुत विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर किया है। पूरी जांच दिल्ली पुलिस ने की थी। उन्होंने चार बयान दिए हैं, जिनमें सभी विरोधाभासी हैं। पहले उन्होंने चोरी की राशि 150 रुपये बताई, फिर 500 रुपये और बाद में 1,200 रुपये।"

    अहमदी ने जवाब में पूछा, "मेरे विद्वान मित्र ने कहा कि चोरी की राशि में विरोधाभास है। इसका अपराध की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?"

    उन्होंने कहा कि राज्य ऐसे अपराधों को दर्ज करने में हमेशा हिचकिचाता है, जबकि इन मामलों में नागरिकों के अधिकार शामिल हैं, इस‌लिए राज्य को अधिक संवेदनशील होना चाहिए।

    अहमदी ने कहा, "वे इन अपराधों की संख्या को कम दिखाना चाहते हैं ताकि आपराधिक रिकॉर्ड से पता चले कि हेट क्राइम है ही नहीं।"

    कोर्ट ने एएजी से अगले दिन सारे रिकॉर्ड पेश करने को कहा।

    खंडपीठ ने ऐसे मामलों में सावधानी बरतने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हेट स्पीच से जुड़े मामलों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो समुदाय के लोग "निर्दोष पीड़ित" होंगे।

    पीठ ने कहा,

    "यदि आप (राज्य सरकार) पर्याप्त सावधान नहीं हैं, तो समुदाय के लोग इन हेट स्पीच के अपराधों के निर्दोष शिकार होंगे। मामले की गंभीरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।"

    राज्य के वकील ने खंडपीठ को बताया कि मामले को दायर करने से पहले, मीडिया में रिपोर्ट किया गया था।

    सीनियर एडवोकेट अहमदी ने पूछा, "एक बुजुर्ग व्यक्ति उत्तर प्रदेश से दिल्ली आकर झूठा मामला क्यों दर्ज कराएगा?",

    उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य की ज‌िम्मेदारी है कि नागरिकों के अधिकारों से समझौता नहीं किया जाए।

    उन्होंने यह भी बताया कि एक जब लोग एक जैसे मामले दर्ज करने का प्रयास करते हैं तो उसमें एक "पैटर्न" होगा। वे निरुत्साहित हैं, खासकर यदि वे कुछ समुदायों से संबंधित हैं। "राज्य का रवैया यह है कि पीड़ित झूठा है!",

    बेंच ने तब कहा कि वह इस मामले को बाकी मामलों से अलग करेगी। "यह ट्रायल का मामला है", दोनों पक्ष सही नहीं हो सकते।

    कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर केस डायरी के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया।

    केस टाइटलः कजीम अहमद शेरवानी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य डब्लूपी (क्रिमिनल) नंबर 391/2021

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