सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार से तमिलनाडु में जवाहर नवोदय विद्यालय बनाने पर संवाद करने को कहा
Shahadat
1 Dec 2025 8:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार से राज्य में जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV) बनाने के मुद्दे पर बात करने की अपील की।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच तमिलनाडु सरकार की 2017 में दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। यह अपील मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ थी, जिसमें तमिलनाडु सरकार को राज्य के हर जिले में एक नवोदय विद्यालय बनाने का आदेश दिया गया था। राज्य ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने 11 दिसंबर 2017 को अंतरिम रोक लगा दी थी। तब से इस मामले पर कोई खास सुनवाई नहीं हुई।
सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार से एक-दूसरे से सलाह-मशविरा करने के बाद कोई हल निकालने को कहा। कोर्ट ने दोनों पक्षों को यह काम पूरा करने के लिए दो हफ़्ते का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर, 2025 के लिए टाल दी।
कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को विरोध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
कुमारी महासभा के वकील एडवोकेट जी प्रियदर्शनी, जिस NGO की PIL की वजह से 2017 में हाई कोर्ट के निर्देश आए, उन्होंने बेंच को बताया कि देश भर में JNV का एकेडमिक परफॉर्मेंस अच्छा है। उन्होंने बताया कि अकेले 2017 में, 14,183 JNV स्टूडेंट्स ने NEET दिया, जिसमें से 11,875 एडमिशन के लिए क्वालिफाई हुए। उन्होंने आगे कहा कि पिछले दस सालों में JNV ने लगातार दसवीं क्लास में 98-99% और बारहवीं क्लास में 96-98% पास परसेंटेज हासिल किया है।
NGO ने कहा कि JNV तमिलनाडु को छोड़कर देश के हर दूसरे राज्य में चलते हैं। फिर जब केंद्रीय विद्यालय जैसे दूसरे सेंट्रल स्कूल दशकों से चल रहे हैं तो राज्य भेदभाव नहीं कर सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से निर्देश मांगने को कहा और मामले को आगे विचार के लिए 15 दिसंबर, 2025 तक के लिए टाल दिया।
तमिलनाडु राज्य ने हाईकोर्ट के 11 सितंबर, 2017 के फैसले को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि JNVs तमिलनाडु तमिल लर्निंग एक्ट, 2006 का उल्लंघन नहीं करेंगे। राज्य को दो महीने के अंदर हर जिले में 240 छात्रों के लिए अस्थायी रहने की जगह देने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि JNVs को अनुमति देने से राज्य का पूरी तरह इनकार स्टूडेंट्स के अपने एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन चुनने के अधिकारों को कम करता है और यह बच्चों के फ्री और कम्पलसरी एजुकेशन एक्ट के खिलाफ है।
अपनी विशेष अनुमति याचिका में राज्य ने तर्क दिया कि एजुकेशन पॉलिसी उसके खास अधिकार क्षेत्र में आती है और राज्य ने जानबूझकर तमिलनाडु तमिल लर्निंग एक्ट, 2006 के तहत दो-भाषा का फॉर्मूला, तमिल और इंग्लिश, अपनाया है। राज्य ने कहा कि JNV तीन-भाषा के फॉर्मूले (क्षेत्रीय भाषा, इंग्लिश और हिंदी) को फॉलो करते हैं, जो उसके कानूनी ढांचे और पॉलिसी की स्थिति के साथ मेल नहीं खाता है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इसके विपरीत राय दी थी। नवोदय विद्यालय समिति और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पूरी जानकारी मांगने के बाद कोर्ट ने दर्ज किया कि तमिल बोलने वाले इलाकों में JNV क्लास VIII तक तमिल को पढ़ाई का माध्यम बनाते हैं, क्लास IX और X में तमिल को पहली भाषा के तौर पर पढ़ाते हैं और क्लास XI और XII में इसे ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर उपलब्ध कराते हैं। इस आधार पर उसने माना कि JNV राज्य की भाषा पॉलिसी के खिलाफ नहीं हैं। उन्हें इजाज़त न देना गलत और ग्रामीण स्टूडेंट्स के लिए नुकसानदायक है। उसने कहा कि केंद्र सरकार पूरा फाइनेंशियल बोझ उठाती है और राज्य को सिर्फ स्कूलों के लिए ज़मीन देनी होती है।
Case : The State of Tamil Nadu v. Kumari Maha Sabha and others | SLP(c) 33459/2017

