सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अनुपालन की निगरानी के लिए सीनियर अधिकारी नियुक्त करने को कहा
Shahadat
6 Dec 2024 12:37 PM IST
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गैर-अनुपालन करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से फरवरी, 2025 तक अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों पर अपना जवाब/शपथपत्र दाखिल करने को कहा।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव से प्रावधानों के अनुपालन की प्रक्रिया की निगरानी के लिए सीनियर अधिकारी नियुक्त करने को कहा।
यह आदेश एडवोकेट मनाली सिंघल (याचिकाकर्ता की ओर से) द्वारा रिकॉर्ड पर रखे गए चार्ट को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया, जिसमें कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों का गैर-अनुपालन दर्शाया गया। इस चार्ट के अनुसार, अंडमान और निकोबार द्वीप, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, लक्षद्वीप, ओडिशा, पुडुचेरी, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अधिनियम के प्रावधानों का पूरी तरह से अनुपालन किया।
गैर-अनुपालन करने वाले राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए, संबंधित वकीलों (हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) ने आश्वासन दिया कि पूर्ण अनुपालन के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
मामले की पृष्ठभूमि
रिट याचिका 'जस्टिस सुनंदा भंडारे फाउंडेशन', एक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दायर की गई, जिसमें निम्नलिखित राहत की मांग की गई थी:
i. दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 द्वारा प्रतिस्थापित) के प्रावधानों का कार्यान्वयन।
ii. 1995 अधिनियम की धारा 33 के अनुसार विभिन्न यूनिवर्सिटी के संकायों और कॉलेजों में पहचाने गए शिक्षण पदों में से 1% के आरक्षण के लिए निर्देश।
iii. यह घोषणा कि विभिन्न यूनिवर्सिटी के संकायों और कॉलेजों में पहचाने गए पदों पर दृष्टिबाधित व्यक्तियों को नियुक्ति से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 के साथ अनुच्छेद 14 और 15 के तहत गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
वर्ष 2014 में न्यायालय ने कहा कि 1995 के अधिनियम को अक्षरशः लागू किया जाना चाहिए।
तदनुसार, इसने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के निर्देश जारी किए।
इसके बाद 6 मार्च, 2020 को न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। हालांकि कुछ राज्यों ने अपना जवाब दाखिल किया, जबकि अन्य ने नहीं किया।
जनवरी, 2024 में गैर-अनुपालन करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया गया।
केस टाइटल: जस्टिस सुनंदा भंडारे फाउंडेशन बनाम यू.ओ.आई., डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 116/1998