सुप्रीम कोर्ट ने उमीद पोर्टल के खिलाफ याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार किया, कहा- वक्फ संशोधन अधिनियम चुनौती में विचार करेंगे

Avanish Pathak

22 Aug 2025 4:06 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने उमीद पोर्टल के खिलाफ याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार किया, कहा- वक्फ संशोधन अधिनियम चुनौती में विचार करेंगे

    सुप्रीम कोर्ट ने आज (22 अगस्त) केंद्र सरकार द्वारा वक्फ, जिसमें वक्फ-बाय-यूजर भी शामिल हैं, के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए शुरू किए गए 'उमीद पोर्टल' के निलंबन की मांग वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

    चीफ जस्टिस बीआर गवई ने मौखिक रूप से कहा कि कोर्ट इस मुद्दे पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संचालन को स्थगित करने की याचिका पर अपने लंबित फैसले में विचार करेगा। उन्होंने वकील शाहरुख आलम से कहा, “आप पंजीकरण कराएं, कोई भी आपको पंजीकरण से मना नहीं कर रहा है... हम उस हिस्से पर विचार करेंगे।”

    आलम ने तर्क दिया कि वक्फ-बाय-यूजर के लिए पंजीकरण की शर्तें इस चरण में पूरी नहीं की जा सकतीं। उन्होंने कहा, “केंद्र ने उमीद वक्फ पोर्टल शुरू किया है, जिसमें सभी वक्फों, जिसमें वक्फ-बाय-यूजर भी शामिल हैं, का अनिवार्य पंजीकरण आवश्यक है; शर्तें ऐसी हैं कि वक्फ-बाय-यूजर इस चरण में इन्हें पूरा नहीं कर सकते।”

    उन्होंने आगे बताया कि इस संबंध में कोर्ट से निर्देश प्राप्त करने के लिए एक अंतरिम याचिका (आईए) दायर की गई थी, लेकिन रजिस्ट्री ने इसे सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया, क्योंकि फैसला पहले ही सुरक्षित रखा गया है।

    मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हमने पहले ही मामला सुरक्षित रख लिया है।"

    वकील ने जोर देकर कहा कि “समस्या यह है कि समय बीत रहा है, और उन्होंने 6 महीने की अवधि दी है।”

    इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि उपयोगकर्ता अपने वक्फ को पोर्टल पर पंजीकृत कर सकते हैं और स्पष्ट किया कि कोर्ट अपने फैसले में इस मुद्दे पर विचार करेगा।

    उल्लेखनीय है कि 22 मई को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संचालन को स्थगित करने की याचिका पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा था।

    वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ कई याचिकाएं और हस्तक्षेप दायर किए गए हैं।

    इसमें 'वक्फ-बाय-यूजर' प्रावधान को हटाना, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, परिषद और बोर्ड में महिलाओं की सदस्यता को दो तक सीमित करना, वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त, वक्फ-अलाल-औलाद को कमजोर करना, 'वक्फ अधिनियम, 1995' का नाम बदलकर “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट” करना, ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील, सरकारी संपत्ति के अतिक्रमण से संबंधित विवादों को सरकार को सौंपना, वक्फ अधिनियम पर सीमा अधिनियम का लागू होना, एएसआई संरक्षित स्मारकों पर वक्फ को अमान्य करना, और अनुसूचित क्षेत्रों में वक्फ बनाने पर प्रतिबंध जैसे प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

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